संसार में आप देखें तो सब कुछ गलत हो रहा है, आत्मा के अनुकूल नहीं है, लगता है कि हम किसी शैतानी ताकत के हाथ में काम कर रहे हैं, आत्मा को जन्म मरण से परे है: सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज

साहिब बंदगी के सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने आज रखबंधु में अपने प्रवचनों से संगत को निहाल करते हुए कहा कि संसार में आप देखें तो सब कुछ गलत हो रहा है। आत्मा के अनुकूल नहीं है। लगता है कि हम किसी शैतानी ताकत के हाथ में काम कर रहे हैं। आत्मा को जन्म मरण से परे बोला। शास्त्रों में आत्मा को अनूठा कहा। कहाँ गयी है आत्मा। हम स्थूल दृष्टि से भी सोचें तो साहिब की बात समझ आती है कि इस शरीर में कुछ गलत हो रहा है। सभी इंद्रियाँ अपने अपने स्वाद के लिए दौड़ रही हैं। जो भी मनुष्य काम कर रहा है, सब अनात्म है। कुछ भी आत्मा के हित के लिए नहीं है। आत्मा का विषयों से क्या लेना। आत्मा का लड़ाई झगड़े से क्या लेना। जैसा परमात्मा है, वैसा ही तो आत्मा का स्वरूप है। जैसे बाजीगर बंदर से जो भी काम चाहता है, करवाता है। बंदर को अनचाहे भी सब काम करना पड़ता है। हम एक तरह से मान रहे हैं कि हम बंधे हैं। पर कोई यह जानने की कोशिश नहीं कर रहा है कि किस बंधन में हैं। बड़े बड़े पढ़े लिखे हैं, पर वो सत्य से कहीं नितान्त दूर हैं। जब शरीर को खोजें तो मन ही दिख रहा है। बाजीगर बंदर से जो भी चाहता है करवा लेता है। जो भी कार्य मनुष्य कर रहा है, आत्मा से कोई लेना देना नहीं है। कहने सुनने के लिए कहते हैं कि मन माया में बंधे हैं। पर यह जानने के बाद भी कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं। एक बीढ़ी पीने वाले को कहा कि यह हानिकारक है। बोला कि मैं जानता हूँ। मैंने कहा कि नहीं जानते हो। जब सही में जान जाओगे तो नहीं पीओगे। फेफड़ों पर हमला होता है। दूसरा दाँतों पर। फेपड़े गये तो तुम गये समझो। तीसरा हृदय पर कुप्रभाव पड़ता है। किडनी खराब हो गयी तो फेफड़े भी खराब हो सकते हैं। ब्रेन भी खराब हो सकता है। ये एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। विदेश में समय समय पर डाक्टर को चेकअप करवाते हैं। यहाँ जब कोई मरने वाला होता है तो दिखाते हैं। डाक्टर सीधा कहता है कि मेरे बस की बात नहीं है। मैं कहना चाह रहा हूँ कि सभी इंद्रियों पर मन का जोर है। आपका जोर नहीं चल रहा है। सबपर वो छाया हुआ है। तन ही मन है। इंद्री मन है। रोम रोम मन है। पूरा ढाँचा मन है। पूरे शरीर में वो विरोधी ताकत चला रही है। उनके बीच में आत्मा भ्रमित हो गयी है। आपका बैरी मन के अलावा कोई नहीं है।

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