सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने ध्यान और आत्मा के महत्व को बताया
- Admin Admin
- Feb 25, 2024
जम्मू, 25 फ़रवरी (हि.स.)। साहिब बंदगी के सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने आज सतवारी, जम्मू में अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से संगत को निहाल करते हुए कहा कि दीक्षा के समय तन, मन, धन अर्पित किया जाता है। यह शरीर आपका नहीं है। आत्मा अपने अस्तित्व को भूलकर अपने को शरीर मान रही है। धन के कारण दुनिया में झगड़े हो रहे हैं। आजकल मुकद्दमें परिवार में चल रहे हैं। कभी कहा जाता था कि भाई भाई की भुजा है। अब भाई भाई का दुश्मन है। धन के कारण से इंसान उलझा है।
अगर मनुष्य धरती पर नहीं है तो सृष्टि का कोई महत्व नहीं है। सृजन का आधार ही मनुष्य है। जड़ पदार्थ कुछ नहीं कर सकते हैं। आत्मा न हो यह संसार जड़ है। इसलिए निरंजन एक भी जीव को अमर लोक नहीं जाने दे रहा है। इसलिए मन गुरु को अर्पित किया। यह संसार सपने की तरह है। इस मानव तन में सुषुम्ना नाड़ी है। वो तुरीया अवस्था में जा सकता है। कई गुणा चेतना बढ़ जाती है। बाकी किसी में यह नहीं है। तुरीयातीत में पहुँचता है तो दुनिया बनाने की ताकत आ जाती है। विश्वामित्र से देवता भी डरते थे। ऐसा सिस्टम किसी अन्य जीव में नहीं है। भय, आहार, मैथुन सबमें है। हमारा शरीर आहार से बना है। जितना अच्छा आहार मनुष्य लेता है, कोई नही लेता है। जिस शेर के मुँह में इंसान का माँस लग जाता है, वो अन्य जीव नहीं खाता है। उसे अच्छा नहीं लगता है। वो इंसान को ढ़ूँढ़ता है। लेकिन उसमें भी भय है। इंसान से भी डरता है। अन्य कुछ जीवों मगरमच्छ, हाथी, गेंडा, जिराफ आदि से भी डरता है। भय सबमें है। भोजन सब कर रहे हैं। सेक्स भी सब कर रहे हैं। पर किसी में इंसान जैसी बनावट नहीं है। पृथ्वी का राजा मनुष्य है। इंसान सबसे बड़ा इसलिए है कि वो ध्यान में जाकर आंतरिक जगत देख सकता है। अगर भजन नहीं कर रहा है तो हीरा समान जन्म गँवा रहा है। यह शरीर विषयों के लिए नहीं मिला है। इसे पाकर भक्ति भजन करो। देवता लोग भी इस शरीर को पाना चाहते हैं। इस शरीर में बहुत विकल्प हैं। इसे पाकर कुछ भी पाया जा सकता है।
अनल पक्षी आकाश में रहता है। वो केवल हवा खाता है। बहुत से लोग हैं, हम ऋषि मुनियों की बात सुनते हैं कि इतने इतने दिन खाए-पीये बिना रहे। आदमी आश्चर्य करता है। यह तो बता दिया कि इतने दिन नहीं खाया। पर यह कोई नहीं बता पाता है कि आधार क्या था। जब नहीं खाया तो जीवित कैसे रहे। मछली में ब्लड है। जिसमें भी ब्लड है, उसे आक्सीज़न चाहिए। मछली कहाँ से आक्सीजन लेती है। जल दो गैसों का मिश्रण है। उसमें आक्सीजन भी है। उसके शरीर में सिस्टम है कि वो जल से आक्सीजन निकालती है। लेकिन आप और हमारे शरीर में यह सिस्टम नहीं है। हम पानी में जाते हैं, हमें आक्सीजन नहीं मिलता है तो हम डूब कर मर जाते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/बलवान