केले के बेकार तने से बनाये जैविक खाद से बढाये मिट्टी की उर्वरा शक्ति

पूर्वी चंपारण,03 अप्रैल(हि.स.)। रसायनिक उर्वरकों के दाम में अप्रत्याशित वृद्धि से परेशान किसान भाई को यह जानकर काफी राहत मिल सकता है कि वो जिन चीजों को बेकार समझकर यत्र तत्र फेंक देते है।अब उन चीजों से जैविक खाद बना सकते है।साथ ही उसका प्रयोग कर अपने खेतों से भरपूर पैदावार के साथ जमीन की उर्वरक क्षमता को भी बढा सकते है।ऐसे भी जैविक खाद रसायनिक खादों की अपेक्षा काफी सस्ती होने के साथ ही पूर्णत: प्रदूषण मुक्त अनाज देता है।जिससे मानव जीवन के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकुल असर नही पडता।

बात करते है जैविक खाद बनाने की एक सरल प्रक्रिया की।आमतौर पर किसान केले के पेड़ से फल काटने के बाद पेड़ के तने को बेकार समझ या तो खेत में ही छोड़ देते हैं या उन्हें यत्र तत्र फेंक देते है।जिस कारण कैल्शियम और नाईट्रोजन समेत अन्य रसायन की मात्रा समेटे यह अनमोल चीज मिट्टी की उर्वरा क्षमता को बढ़ाने के बजाय नुकसान हो जाता है।जबकि किसान बेकार हो चुके केले के इन तनों से जैविक खाद बना सकते है।

किसान भाई ऐसे केले के पेड को एक गड्ढा बना कर उसमें डाल दे,फिर उसके ऊपर गोबर और अन्य खरपतवार को डाल कर उसके उपर डी-कंपोजर का छिड़काव कर बहुत कम समय में जैविक खाद तैयार कर सकते है।इस विधि की जानकारी देते हुए पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी प्रखंड के सिरसा गांव के किसान सोनू सिंह व बंजरिया प्रखंड के किसान रामविनय सिंह ने बताया कि इस खाद का उपयोग कर हमने रसायनिक खाद के मुकाबले ज्यादा पैदावार प्राप्त किया है।

उन्होंने बताया कि केले के बेकार पेड से तैयार जैविक खाद को जिन खेतों में मैने डाला था,उस खेत में यूरिया भी डालने की जरूरत नही पडी। ऐसे मे हिन्दुस्थान समाचार किसान भाईयो से अपील करता है कि ऐसे प्रयोग वह भी शुरू कर रसायनिक खादों के दुष्प्रभाव के साथ खेती पर बढ़ रहे लागत को कम कर सकते है।

हिन्दुस्थान समाचार/आनंद प्रकाश/चंदा

   

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