हिन्दू समाज के उत्साहित वातावरण में सेंध लगाना चाहते हैं स्वामी चक्रपाणि

लखनऊ, 16 अप्रैल (हि.स.)। अखिल भारत हिन्दू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि अयोध्या में भव्य राम मंदिर के बाद हिन्दू समाज के उत्साहित वातावरण में सेंध लगाना चाहते हैं। इसके लिए स्वामी चक्रपाणि ने उत्तर प्रदेश में 20 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की, जिसमें वाराणसी लोकसभा सीट शामिल थी, जिस पर उतारे उम्मीदवार को वापस लेने की स्वामी चक्रपाणि ने घोषणा की है।

अखिल भारत हिन्दू महासभा ने आजतक किसी मंदिर आंदोलन में खुलकर सहभागिता नहीं की। फिर वे अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर के लिए हुआ आंदोलन हो, या फिर वाराणसी एवं मथुरा में मंदिरों के लिए चल रहे संघर्ष से जुड़ा आंदोलन ही हो। कहीं भी अखिल भारत हिन्दू महासभा ने आंदोलन से जुड़े लोगों से बचकर अपनी भूमिका निभायी।

लोकसभा चुनाव 2024 में अखिल भारत हिन्दू महासभा के अध्यक्ष चक्रपाणि के उम्मीदवारों को लड़ाने की घोषणा की तो लोगों ने स्वामी चक्रपाणि को घेरते हुए उन्हें धर्म के नाम पर राजनीति करने वाला बताया। आजमगढ़ से पूनम चौबे, मीरजापुर से मृत्युंजय भूमिहार, बलिया से राजू प्रकाश श्रीवास्तव को उम्मीदवार के रूप में जानने के बाद लोगों ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी।

आजमगढ़ के मेहनगर निवासी भोला सिंह ने कहा कि धर्म की रक्षा के नाम पर राजनीति करने वाले स्वामी चक्रपाणि के उम्मीदवार की जमानत जब्त हो जायेगी। उनके उम्मीदवार ने आजमगढ़ में किसी मंदिर का निर्माण तक तो कराया नहीं है, फिर ऐसे उम्मीदवार के लिए हिन्दू के नाम पर कैसे मतदान किया जाये।

वाराणसी निवासी सियाराम ने कहा कि स्वामी चक्रपाणि को बुद्धि आ गयी, जो वाराणसी में खड़ी की गई उम्मीदवार हिमांगी सखी को चुनाव लड़ाने से मना कर दिया। अगर हिमांगी सखी चुनाव लड़ती तो उनकी जमानत तक नहीं बचती। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सम्मान में उम्मीदवार को वापस लेने का फैसला ही उचित है।

उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दखल रखने वाले पत्रकार आनन्द ने कहा कि हिन्दू के नाम पर तमाम संगठन सक्रिय है। इसमें कोई राजनीतिक क्षेत्र में उम्मीदवार उतारता है तो ये चुनावी फैसला माना जाना चाहिए। स्वामी चक्रपाणि का उत्तर प्रदेश में कोई जनाधार नहीं है, उनके उम्मीदवार सिर्फ भाजपा का वोट काटने के लिए ही है।

हिन्दुस्थान समाचार/ शरद

   

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