भारत बंद 2025 : सरकारी नीतियों के विरोध में 25 करोड़ श्रमिकों की हड़ताल से बैंकिंग, परिवहन और उद्योगों पर असर की आशंका

कोलकाता, 08 जुलाई (हि.स.)। भारत बंद 2025 को लेकर देशभर में हलचल तेज हो गई है क्योंकि दस प्रमुख ट्रेड यूनियनों के गठबंधन ने केंद्र सरकार की श्रम विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ नौ जुलाई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है । इस बंद में बैंकिंग डाक सेवाएं औद्योगिक उत्पादन परिवहन सार्वजनिक उपक्रम और विभिन्न निजी क्षेत्रों सहित लगभग 25 करोड़ कर्मचारियों और कामगारों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।

ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि सरकार श्रमिकों की समस्याओं की लगातार अनदेखी कर रही है और रोजगार सुरक्षा न्यूनतम वेतन स्थायी नियुक्तियों तथा सार्वजनिक क्षेत्र में अवसरों की मांगों पर कोई गंभीर कदम नहीं उठा रही है।

हड़ताल को समर्थन देने वाली यूनियनों में इंडियन नेशनल ट्रेड, यूनियन कांग्रेस ऑल इंडिया ट्रेड, यूनियन कांग्रेस हिंद मजदूर सभा, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस, ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन, सेंटर ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर सेल्फ, एम्प्लॉयड वुमेन्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस, लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस शामिल हैं ।

सरकार के खिलाफ इन यूनियनों की मुख्य आपत्तियां यह हैं कि पिछले दस वर्षो से इंडियन लेबर कॉन्फ्रेंस का आयोजन नहीं किया गया। चार श्रम संहिताओं के लागू होने से यूनियन की ताकत कमजोर हुई और काम के घंटे बढ़ाए गए ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा मिल रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में कटौती की जा रही है जिससे युवाओं में बेरोजगारी की समस्या बढ़ रही है जबकि दूसरी ओर कॉरपोरेट सेक्टर को विभिन्न नीतिगत रियायतें दी जा रही हैं।

जहां तक आम जनता पर असर की बात है तो बैंकों की ओर से नौ जुलाई के लिए किसी तरह के आधिकारिक अवकाश की घोषणा नहीं की गई है। यानी बैंक खुले रहेंगे लेकिन हड़ताल के चलते शाखाओं और लेनदेन में व्यवधान आ सकता है। वहीं, शेयर बाजारों की बात करें तो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज दोनों सामान्य रूप से काम करेंगे।

इस हड़ताल से बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के साथ साथ डाक विभाग, औद्योगिक उत्पादन, कोयला खनन, क्षेत्रीय परिवहन व्यवस्था और सरकारी दफ्तरों के कामकाज पर व्यापक असर पड़ सकता है। एनएमडीसी और अन्य सरकारी खनिज व इस्पात कंपनियों के कर्मचारी भी आंदोलन में शामिल हो सकते हैं।

राज्य और केंद्र सरकारें स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और संबंधित विभागों को सतर्कता और आपात स्थिति से निपटने की तैयारी के निर्देश दिए गए हैं। ट्रेड यूनियन नेताओं का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर सकारात्मक संवाद शुरू नहीं करती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

हिन्दुस्थान समाचार / अनिता राय

   

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