नौशहरा कोटरंका, बाकोरी में पूरे धार्मिक उत्साह के साथ "भागवत महापुराण कथा" का समापन हुआ
- editor i editor
- Oct 02, 2024
आज यहां कोटरंका, बाकोरी के शिव मंदिर के पास सिंचाई मैदान में एक सप्ताह तक चलने वाले "श्रीमद्भागवत तत्व ज्ञान यज्ञ" (भागवत कथा) का पूरे उत्साह, धार्मिक उत्साह और उल्लास के साथ समापन हुआ। सात दिवसीय कार्यक्रम के दौरान भगवान कृष्ण की दिव्य लीलाओं और उनके दिव्य लीलाओं के पीछे छिपे सच्चे अर्थों को सुनने के लिए आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हुए। यह कार्यक्रम पिछले महीने की 27 तारीख को शुरू हुआ था और 2 अक्टूबर को परम पूज्य अटल पीठाधीश्वर राजगुरु आचार्य महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 श्री स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती जी महाराज की देखरेख में संपन्न हुआ।
कथा की शुरुआत करते हुए स्वामी जी ने कहा कि भागवत कथा सुनने से मनुष्य अपने जीवन की दिशा में काफी हद तक बदलाव ला सकता है। स्वामी जी ने आगे कहा कि हमारे भाव ही असत्य को जन्म देते हैं और अंततः संसार को असत्य बनाते हैं। कथा को आगे बढ़ाते हुए स्वामी जी ने कहा कि ईश्वर सबमें है, लेकिन वह सबसे अलग भी है, वह हर पल हमारे साथ है। पूरे समारोह के दौरान कथा के मुख्य वक्ता स्वामी जी ने भगवान कृष्ण के जीवन चरित्र के प्रत्येक पहलू को वामन, सुदामा, कंस, रासलीला जैसे विभिन्न पात्रों की मदद से समझाया। राजा परीक्षित को श्राप का वर्णन, गुरु सुखदेव जी का आगमन, ब्रह्मा जी की उत्पत्ति का वर्णन, भगवान की लीलाओं का वर्णन तथा राजा परीक्षित को श्राप से मुक्त करने के लिए सुखदेव जी द्वारा उपाय का वर्णन, श्री कृष्ण की लीलाएं तथा अन्तःकरण की शुद्धि, माता यशोदा व वसुदेव जी को कृष्ण स्वरूप के दर्शन कराना, पूतना कंस का वध आदि विविध प्रसंगों का वर्णन किया गया। सप्ताह भर चली कथा के दौरान गोपियों का अभिमान तथा भगवान का अन्तर्यामी ध्यान तथा पुनः कृष्ण भाव उत्पन्न होना तथा महारासलीला, सुदामा जी महाराज का वर्णन, राजा परीक्षित का श्राप से मुक्त होना, श्री कृष्ण द्वारा गोपियों को संदेश आदि प्रसंगों का भी वर्णन श्री स्वामी जी ने किया। समापन के दिन प्रांगण में विशाल लंगर का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया तथा स्वामी जी के प्रति अपनी पूर्ण श्रद्धा भी अर्पित की।



