भारत सरकार अमेरिका के आगे झुकी तो हम अपनी गायों को ले जाकर संसद भवन में बांध देंगे

अमेरिका के साथ मांसाहारी दूध को लेकर होने वाली समझौता बैठक के विरोध में धरना देते अमरोहा के गॉंव फ़ौलादपुर के ग्रामीण।

अमरोहा, 21 जुलाई (हि.स.)। अमेरिका के साथ मांसाहारी दूध को लेकर होने वाली समझौता बैठक के विरोध में गॉंव फ़ौलादपुर के ग्रामीणों ने सोमवार को धरना दिया। सोमवार से पंचायत भवन में शुरू हुए धरने में ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि, भारत सरकार अमेरिका के आगे झुककर दूध आयात का समझौता करती है तो किसान अपनी गायों को ले जाकर संसद भवन में बांध देंगे, क्योंकि फिर किसान पशुपालन कर ही नहीं पाएंगे।

धरने का नेतृत्व महिला ग्राम प्रधान मनु यादव द्वारा किया गया। धरने के संयोजक अजय कुमार ने कहा कि अमेरिका, भारत सरकार पर नॉनवेज मिल्क के लिए दबाव बना रहा है क्योंकि वह अपने डेयरी उत्पादों को भारतीय बाजार में बेचना चाहता है। नॉनवेज मिल्क वह दूध होता है जो सूअर, मछली, मुर्गी, गाय, बैल, घोड़े, यहां तक कि कुत्ते-बिल्लियों के मांस और खून को सुखाकर बनाए गए चूर्ण को पशुचारे में मिलाकर गायों को खिलाया जाता है।

मिली जानकारी के अनुसार हालांकि भारत सरकार ने पिछली दो बैठकों में समझौता करने से इंकार कर दिया है, लेकिन अमेरिका ने भारत को 1 अगस्त की समय सीमा दी है, जिसके बाद वह भारत पर 26 प्रतिशत का टैरिफ लगा सकता है। इसीलिए आशंका है कि दबाव में सरकार समझौता भी कर सकती है या शर्तों में यह चालाकी हो सकती है कि नॉनवेज मिल्क नहीं लेंगे, शाकाहारी दूध ले लेंगे।

धरना दे रहे ग्रामीणों ने कहा कि यदि एक बार वहां से दूध आना आरम्भ हो गया तो फिर मांसाहारी दूध भी आएगा। यदि अमेरिका का दूध आ गया तो हमारे किसान पशुपालन भी नहीं कर पाएंगे, क्योंकि अमेरिका का दूध सस्ते में आएगा और मांस के कारण उसमें घी भी अधिक निकलेगा। फिर यहां के किसानों का दूध डेयरी भी नहीं लेंगी। इसका कारण यह है कि अमेरिका वालों की आय तो पशु मांस से होती है, मांसाहारी दूध तो उनके लिए अतिरिक्त है, अब इसे भारत को सस्ते में बेचकर भी जो कुछ धन मिलेगा, वह तो उनके लिए बोनस ही होगा। और फिर, न केवल दूध, दूध पाउडर आएगा, बल्कि मावा, पनीर, मिठाइयां यानी सारे डेयरी उत्पाद आएंगे।

मनु यादव ने कहा कि इससे भारत की धर्म संस्कृति तो नष्ट होगी ही, साथ ही डेयरी उद्योग, हलवाई और किसान सब के सब एक झटके में बर्बाद हो जाएंगे। क्योंकि, भारत में पशुपालन और खेती एक दूसरे के पूरक हैं, पशुपालन बन्द होगा तो खेती अपने आप बर्बाद हो जाएगी। आधी से अधिक यानी करीब 50 करोड़ जनता इन्हीं से जीवनयापन करती है। इसलिए, हमारी मांग है कि कृषि या दूध उत्पादों के लिए समझौता बैठक ही न हो, हम अपना दूध और अन्न उत्पादन करने में सक्षम हैं। फिर भी समझौता हुआ तो मजबूर होकर संसद भवन में ले जाकर गायों को बांधना पड़ेगा और इसके लिए भारत सरकार ही जिम्मेदार होगी।

धरने में कुलदीप सिंह, वीरेंद्र सिंह, रघुनाथ सिंह, विजयपाल सिंह, तेजपाल सिंह, पंकज, निपुल, चंद्रजीत, राजेन्द्र सिंह, कामेंद्र सिंह, सुभाष सिंह, कृपाल सिंह, अभिनव यादव, सतवीर सिंह, प्रदीप, धर्मेंद्र सिंह आदि रहे।

10 दिन तक निरन्तर चलेगा धरना :

संयोजक अजय कुमार ने बताया कि ग्रामीणों को जागरूक करने व सरकार को चेताने के लिए एक दिवसीय धरने का आयोजन किया गया था। लेकिन ग्रामीणों को जैसे ही अमेरिका की इस विनाशकारी कोशिश का पता लगा तो वे आक्रोशित और द्रवित हो गए। चमरौवा, जाजरू, कासम सराय आदि आसपास के गॉंवों के लोग भी पहुंच गए। फिर, उन्होंने तय किया कि अब वे इस धरने को 10 दिन तक यानी एक अगस्त की समझौता बैठक में डील समाप्त होने की घोषणा तक चलाएंगे। उनका सन्देश है कि वे सरकार के साथ हैं, सरकार अमेरिका के आगे न झुके।

हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जायसवाल

   

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