डॉ. अभिजीत जसरोटिया ने अनावश्यक उर्दू विवाद को बढ़ावा देने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस की आलोचना की

डॉ. अभिजीत जसरोटिया ने अनावश्यक उर्दू विवाद को बढ़ावा देने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस की आलोचना की


जम्मू, 7 जुलाई । आज त्रिकुटा नगर स्थित भाजपा पार्टी कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी प्रवक्ता डॉ. अभिजीत जसरोटिया ने मीडिया प्रभारी डॉ. प्रदीप महोत्रा ​​और डॉ. मक्सन टिक्कू के साथ मिलकर नायब तहसीलदार भर्ती के संदर्भ में उर्दू भाषा को लेकर अनावश्यक विवाद को बढ़ावा देने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की आलोचना की।

डॉ. जसरोटिया ने इस मुद्दे को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि इसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर के युवाओं को गुमराह करना है। उन्होंने कहा उर्दू हिंदी की बहन भाषा है और दोनों की भारत में गहरी जड़ें हैं। इसे एक विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान के रूप में चित्रित करने का प्रयास भ्रामक है।

उन्होंने बताया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के अपने कार्यकाल के दौरान 1973 में नायब तहसीलदारों के लिए पहली भर्ती नियम में उर्दू को अनिवार्य योग्यता के रूप में अनिवार्य नहीं किया गया था। उन्होंने कहा तीन दशकों तक यह अपरिवर्तित रहा। यह केवल 2003 में हुआ जब दो दलों - एक भारत के विभाजन के लिए जिम्मेदार और दूसरा अमरनाथ भूमि विवाद में कुख्यात रूप से शामिल - ने हाथ मिलाया और विभाजन के बीज बोए। उन्होंने आगे कहा कि उर्दू को अनिवार्य बनाने वाले खंड को 2009 में एनसी की एक अन्य गठबंधन सरकार के दौरान फिर से स्थगित रखा गया था।

डॉ. जसरोटिया ने एनसी से इस बात पर स्पष्टीकरण मांगा कि वह अब इस विवाद को क्यों हवा दे रही है। डॉ. जसरोटिया ने कहा एनसी को युवाओं को यह बताना चाहिए कि वे 1 लाख सरकारी नौकरियां देने के अपने अधूरे वादे से ध्यान क्यों हटा रहे हैं जिसका उल्लेख उन्होंने अपने पहले घोषणापत्र में किया था। उन्होंने कहा कि पार्टी ऐसे समय में निर्दोष उम्मीदवारों के बीच भ्रम पैदा कर रही है जब भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण ने ऐसे मानदंडों को अप्रासंगिक बना दिया है।

   

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