कल रात दिखेगा पूर्ण चंद्र ग्रहण, ‘ब्लड मून’ के साथ लालिमा से निखरेगा चंद्रमा का सौंदर्य
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- Sep 06, 2025
नैनीताल, 6 सितंबर (हि.स.)। कल रविवार की रात 7 सितंबर को होने वाला पूर्ण चंद्र ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा, यदि मौसम साफ रहा तो लोग इसे स्पष्ट रूप से देख सकेंगे।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के डॉ.वीरेंद्र यादव के अनुसार यह ग्रहण रात 8.45 बजे से नजर आना शुरू होगा और इसकी सीधी झलक डिजिटल माध्यम से एरीज के यूट्यूब व फेसबुक पेज पर भी प्रसारित की जाएगी। वर्षा और बादलों की संभावना को देखते हुए इस बार आम दर्शकों के लिए मनोरा पीक या हल्द्वानी केंद्रों पर प्रत्यक्ष अवलोकन की व्यवस्था नहीं की गई है।
चंद्रग्रहण से संबंधित दिलचस्प तथ्य, क्यों पूर्ण चंद्रग्रहण में लाल नजर आता है चंद्रमा ?
डॉ.यादव ने बताया कि चंद्र ग्रहण पूर्णिमा की रात और सूर्य ग्रहण अमावस्या पर होता है, लेकिन यह तभी संभव होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में हों। चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है और उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। चंद्रग्रहण सूर्यग्रहण के सापेक्ष लंबी अवधि के लिये होता है। यदि पृथ्वी की छाया चंद्रमा को आंशिक रूप से ढकती है आंशिक और जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा को पूरी तरह से ढँकती है तो पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखाई देता है। लेकिन पूर्ण चंद्र ग्रहण के समय पूरा चंद्रमा एकदम काला नहीं होता। क्योंकि पूर्ण चंद्र ग्रहण के समय सूर्य का कुछ प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल से होते हुए चंद्रमा पर पड़ता है।
डॉ. यादव ने बताया कि हमारा वायुमंडल सूर्य के प्रकाश के रंगों में से बैंगनी और नीले रंगों अधिक और लाल और नारंगी रंगों को कम बिखेरता है। वैज्ञानिक इस बिखराव को प्रकीर्णन कहते हैं। प्रकीर्णन के कारण ही दिन में आकाश हमें नीला दिखाई देता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण के समय पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरने के बाद सूर्यप्रकाश का लाल रंग लगभग सीधे चंद्रमा पर पड़ता है, जबकि नीले रंग वायुमंडल में ही बिखर जाते हैं, जिससे चंद्रमा गहरे लाल रंग का प्रतीत होता है।
इस स्थिति को अंग्रेजी में आम बोल-चाल में “ब्लड मून” भी कहा जाता है लेकिन यह कोई वैज्ञानिक नाम नहीं है। वायुमंडल में धूल या अन्य कणों के कारण यह रंग लगभग भूरा भी हो सकता है।
इसलिये नजर आते हैं सूर्य और चंद्रमा बराबर
डॉ. यादव ने बताया कि संयोगवश चंद्रमा सूर्य से लगभग 400 गुना छोटा है, लेकिन सूर्य की तुलना में पृथ्वी के लगभग 400 गुना करीब है। इस कारण इन दोनों का आकार आकाश में लगभग एक समान दिखाई देता है।
चंद्रग्रहण को खुली आंखों से देखना सुरक्षित, किसी परहेज की आवश्यकता भी नहीं
डॉ. यादव ने बताया कि चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से या दूरबीन से देखना पूरी तरह सुरक्षित है, जबकि सूर्य ग्रहण को देखने के लिए विशेष फिल्टर या चश्मे की आवश्यकता होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रहण दुर्लभ और रोचक खगोलीय घटनाएं हैं और इनके दौरान बाहर जाना, खाना बनाना या खाना पूरी तरह सुरक्षित है। प्राचीन काल में इनसे जुड़े कई अंधविश्वास प्रचलित थे, जिन्हें विज्ञान ने निराधार साबित कर दिया है।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी



