भारतीय निर्यातकों की चुनौतियों के समाधान को सरकार प्रतिबद्ध: पीयूष गोयल

मंत्रालयों के सचिवों सहित उद्योग के हितधारकों के साथ गोयल

-व्यापारियों की पोत-परिवहन संबंधी दिक्कतों के लिए कई उपायों की घोषणा

नई दिल्ली, 19 सितंबर (हि.स.)। केंद्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न मंत्रालयों के सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से भारतीय आयातकों और निर्यातकों के सामने आने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है।

गोयल ने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों सहित शिपिंग और कार्गो उद्योग के हितधारकों के साथ यहां आयोजित बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कई घोषणाएं कीं। गोयल ने कहा कि निर्यातकों और आयातकों की पोत परिवहन (समद्री परिवहन) क्षेत्र से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए बंदरगाहों पर कुछ शुल्कों को कम करने और 5 अतिरिक्त पुराने कंटेनर जहाजों को खरीदने सहित कई कदम उठाने पर सहमति बनी है।

वाणिज्‍य मंत्री ने कहा कि भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों सहित शिपिंग और कार्गो उद्योग के हितधारकों के साथ बैठक का मुख्य उद्देश्य शिपिंग और कार्गो उद्योग में निर्यातकों और आयातकों के मुद्दों को समझना और उनका समाधान करना था। उन्‍होंने कहा कि विचार-विमर्श में उभरते भू-राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य का जायजा लिया गया। बैठक में सामूहिक रूप से निर्यात के दौरान कार्गो के तेज प्रसंस्करण के लिए विश्वास-आधारित कार्य वातावरण को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया।

वाणिज्‍य मंत्री कार्यालय की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि बैठक में शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई) क्षमता बढ़ाने के लिए पांच अतिरिक्त पुराने कंटेनर जहाज खरीदने की घोषणा की गई। इसमें वाणिज्य और उद्योग, पोत परिवहन, ​​बंदरगाह, वित्त, नागर विमानन और रेलवे जैसे मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी, शीर्ष निर्यातक निकाय भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो), सीमा शुल्क अधिकारी, माल ढुलाई प्रदाता, परिवहन परिचालक और पोत परिवहन कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

बैठक में लिए गए निर्णयः

-निर्यातकों की सहायता के लिए बहु-विषयक सहायता डेस्क की स्थापना करना।

-जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण (जेएनपीए) के यार्ड में खाली कंटेनरों को संग्रहित करने की अनुमति देना।

-कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (कॉनकॉर) द्वारा खाली कंटेनरों की हैंडलिंग और लोडिंग लागत कम करना।

-निर्यात-संबंधी प्रक्रियाओं को बढ़ाने के लिए जेएनपीए के आसपास यातायात में होने वाली देरी को कम करना।

-तेज निकासी और कम टर्नअराउंड समय के लिए जेएनपीए में एक साथ कंटेनर स्कैनिंग लागू करना।

हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर

   

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