श्रीनगर में अवैध निर्माणों पर उच्च न्यायालय ने एसएमसी से हलफनामा मांगा

श्रीनगर, 25 सितंबर (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने आज श्रीनगर नगर निगम (एसएमसी) को चेतावनी दी कि अगर श्रीनगर के गोगजी बाग इलाके में अवैध निर्माणों के संबंध में हलफनामा अगली सुनवाई की तारीख तक दाखिल नहीं किया जाता है तो उसे 10 सितंबर तक जवाब देना होगा। सुनवाई के बाद उचित आदेश दिए जाएँगे।

मुख्य न्यायाधीश अरुण पल्ली और न्यायमूर्ति राजेश ओसवाल की खंडपीठ ने दर्ज किया कि यदि एसएमसी द्वारा हलफनामा दायर नहीं किया जाता है तो अदालत उचित आदेश पारित करेगी। एसएमसी को एक हलफनामा प्रस्तुत करना होगा जिसमें यह दर्शाया जाएगा कि 22 अवैध ढांचों में मास्टर प्लान के प्रमुख उल्लंघनों के संबंध में एसएमसी ने क्या कदम उठाए हैं, जिन्हें जम्मू-कश्मीर विशेष न्यायाधिकरण द्वारा जटिल बनाया गया है।

उल्लेखनीय है कि अदालत को सूचित किया गया है कि मास्टर प्लान ज़ोनिंग नियमों और प्रमुख बाधाओं के प्रमुख उल्लंघनों से संबंधित 22 मामलों को जम्मू-कश्मीर विशेष न्यायाधिकरण द्वारा जटिल बनाया गया था।

अदालत को सूचित किया गया है कि यद्यपि न्यायाधिकरण के पास जम्मू-कश्मीर भवन संचालन नियंत्रण अधिनियम और नगर निगम अधिनियम के तहत ये आदेश पारित करने और उन्हें दी गई मूल भवन अनुमतियों के विपरीत इन बड़े विचलनों को कम करने का अधिकार नहीं था फिर भी निगम गहरी नींद में रहा और उसने उन आदेशों का कभी विरोध नहीं किया।

एसएमसी के वकील ने दलील दी कि निगम उन 22 मामलों में से प्रत्येक में न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेशों का विरोध करने के लिए तत्काल कदम उठाएगा। उन्होंने इस संबंध में एक विशिष्ट हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए एक संक्षिप्त समय-सीमा का अनुरोध किया।

अदालत ने उन सभी मामलों को भी इंगित करने का निर्देश दिया जहाँ निगम गैर-समाधानीय उल्लंघनों और विचलनों के संबंध में उचित कार्रवाई करने का इरादा रखता है जिनमें वे मामले भी शामिल हैं जिन्हें उल्लंघनकर्ताओं की अनुपस्थिति के कारण न्यायाधिकरण द्वारा अभियोजन न करने के कारण खारिज कर दिया गया था।

उप महाधिवक्ता दिनांक 16.09.2025 के आदेश के संदर्भ में आवश्यक हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह का अतिरिक्त समय देने का अनुरोध करते हैं और उन्हें यह समय प्रदान किया जाता है। यह स्पष्ट किया जाता है कि चूक की स्थिति में उचित आदेश पारित किए जाएँगे डीबी ने निर्देश दिया।

अदालत श्रीनगर के गोगजी बाग के निवासियों द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें श्रीनगर के गोगजी बाग के आवासीय क्षेत्र में अवैध निर्माण का मुद्दा उठाया गया था।

एसएमसी ने हबीबुल्लाह और राशिद अनवर के पक्ष में दो दो मंजिला आवासीय भवनों के लिए अनुमति (आदेश संख्या 3439/2018 दिनांक 27/11/2018) जारी की लेकिन मालिक ने आदेश का उल्लंघन किया और तीन मंजिला इमारत का निर्माण शुरू कर दिया।

मालिक एक संशोधित आदेश (संख्या 299/2019 दिनांक 11/10/2019) प्राप्त करने में सफल रहा जिसने आवासीय अनुमति को व्यावसायिक अनुमति में बदल दिया जिससे एक गेस्ट हाउस बनाने की अनुमति मिल गई।

उच्च न्यायालय ने 2020 में निर्देश दिया था कि न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी अब्दुल मजीद भट जिस तरह से आदेश पारित कर रहे हैं वह विश्वास पैदा नहीं करता। इसी अधिकारी द्वारा पारित कई आदेशों को इस न्यायालय की जम्मू पीठ में भी चुनौती दी गई थी। नियमों और विनियमों के प्रावधानों की अनदेखी करते हुए बड़े उल्लंघनों पर समझौता करने की अनुमति दी गई है। इस मामले में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का भी पालन नहीं किया गया है क्योंकि न तो निगम के वकील को सुना गया और न ही उन आवेदकों को जिन्होंने अपील में पक्षकार बनने के लिए आवेदन दायर किया था सुनवाई की तारीख से अवगत कराया गया।

हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह

   

सम्बंधित खबर