एचपीटीडीसी को घाटे में चल रहे 18 होटलों को बंद करने के आदेश

शिमला, 20 नवंबर (हि.स.)। हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उपक्रम हिमाचल पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के घाटे में चल रहे 18 होटलों को 25 नवम्बर 2024 से बंद करने का सख्त आदेश दिया है।

हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि एचपीटीडीसी को बार-बार आगाह करने पर भी पेंशनरों को ग्रेच्युटी, लीव इन् केशमेंट व अन्य वितीय लाभ नहीं दिये गए हैं। इसी पर कोर्ट ने 40 फीसदी से कम ऑक्यूपेंसी वाले होटलों को बंद करने का फ़ैसला आया है।

यह आदेश सुनाते हुए न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने कहा कि एचपीटीडीसी इन होटलों को बंद करे, क्योंकि इनका संचालन घाटे में चल रहा है और इससे राज्य के वित्तीय संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है। इन आदेशों की अनुपालना की जिम्मेदारी पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक की होगी। उन्हें इस आदेश के पालन को सुनिश्चित करना होगा और आगामी तीन दिसम्बर तक कोर्ट में इसकी रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।

इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि इन होटलों को चलाने के लिए जो न्यूनतम स्टाफ जरूरी है, वही स्टाफ वहां रखा जाए। बाकी कर्मचारियों को अन्य होटलों में स्थानांतरित कर दिया जाए, ताकि जहां स्टाफ की कमी हो, वहां उसकी भरपाई की जा सके।

हाईकोर्ट ने जिन 18 होटलों को बंद करने का आदेश दिया है, इनमें पैलेस होटल चायल, होटल गीतांजलि डलहौजी, होटल बघाल दाड़लाघाट, होटल धौलाधार धर्मशाला, होटल कुनाल धर्मशाला, होटल कश्मीर हाउस धर्मशाला, होटल एप्पल ब्लॉसम फागू, होटल चंदरभागा केलंग, होटल देवदार खजियार, होटल गिरिगंगा खड़ापत्थर, होटल मेघदूत कयारीघाट, होटल शबरी कुल्लू, होटल लॉग हट्स मनाली, होटल हडिंबा कॉटेज मनाली, होटल कुन्जुम मनाली, होटल भागसू मैक्लोडगंज, होटल द कैस्टल नागर और होटल शिवालिक परवाणू शामिल हैं।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी जिक्र किया है कि एचपीटीडीसी द्वारा अपने होटलों की कार्यकुशलता और उपयोगिता का हवाला निराशाजनक था। अदालत ने कहा कि एचपीटीडीसी अपनी संपत्तियों का सही तरीके से उपयोग कर लाभ अर्जित करने में असमर्थ रहा है। यदि इन संपत्तियों का संचालन जारी रखा जाता है तो यह राज्य के खजाने पर अतिरिक्त बोझ डालेगा, जबकि राज्य सरकार पहले ही वित्तीय संकट का सामना कर रही है, जैसा कि अदालत में आए अन्य मामलों में देखा गया है।

हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि पिछली सुनवाई में, 17 सितंबर 2024 को उसने एचपीटीडीसी से अपेक्षाएं जताई थीं कि वह अपने संसाधनों को बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाएगा, लेकिन इस आदेश तक निगम ने इस दिशा में कोई अहम कदम नहीं उठाया है।

हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि 3 दिसंबर 2024 को अगली सुनवाई के दौरान एचपीटीडीसी के प्रबंध निदेशक को कोर्ट में पेश होकर एक शपथ पत्र दाखिल करना होगा। इस शपथ पत्र में वह यह बताएंगे कि इस आदेश का पालन कैसे किया गया है और साथ ही उन सेवानिवृत्त कर्मचारियों की सूची भी प्रस्तुत करेंगे, जो चतुर्थ श्रेणी के हैं और जो मृतक हैं। इनके परिवारों के लिए बकाया राशि जारी करने के लिए यह कदम उठाया जाएगा। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि एचपीटीडीसी को यह सूचित करना होगा कि सरकार और निजी संस्थाओं द्वारा निगम को बकाए के तौर पर कितनी अतिरिक्त राशि प्राप्त हुई है।

बता दें कि 12 नवम्बर 2024 को पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने निजी पार्टियों से 48 घण्टों में बकाया वसूलने के एचपीटीडीसी को निर्देश दिए थे, जबकि सरकारी विभागों के लिए यह समय सीमा 30 नवम्बर 2024 थी। एचपीटीडीसी का निजी पार्टियों व सरकारी विभागों से करोड़ों रुपये की बकाया वसूली करनी है। दरअसल एचपीटीडीसी की माली हालत खस्ता है। इस वजह से एचपीटीडीसी अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों को वितीय लाभ नहीं दे पा रहा है। एचपीटीडीसी के 60 होटल, कैफे व रेस्तरां हैं। इनमें आधे से ज्यादा घाटे में चल रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

   

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