सोनीपत: भारत का पहला संविधान संग्रहालय: इतिहास और आधुनिकता का संगम

ओ.पी.         जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय में भारत के पहले संविधान संग्रहालय का उद्घाटन अवसर

सोनीपत, 23 नवंबर (हि.स.)। ओ.पी.

जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय में भारत के पहले संविधान संग्रहालय का उद्घाटन एक ऐतिहासिक

पहल है। इस अवसर पर संस्थापक उप-कुलपति प्रोफेसर डॉ. सी. राज कुमार ने शनिवार काे आयाेजित कार्यक्रम में अतिथियों का

स्वागत करते हुए इसे संविधान की समृद्ध विरासत को जनता के करीब लाने की दिशा में एक

महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने

बताया कि 23 से 25 नवंबर तक भारतीय संविधान पर राष्ट्रीय सम्मेलन में पूर्व मुख्य न्यायाधीश,

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, वरिष्ठ अधिवक्ता, सांसद, और अन्य प्रतिष्ठित विद्वान शामिल

होंगे। प्रो. कुमार ने लोकसभा सांसद और विश्वविद्यालय के संस्थापक चांसलर नवीन जिंदल

का आभार व्यक्त किया। इस वैश्विक विश्वविद्यालय और संविधान संग्रहालय की नींव रखी।

यह संग्रहालय

भारतीय संविधान के निर्माण, उसके मूल्य और आदर्शों को आधुनिक तकनीक के माध्यम से प्रस्तुत

करता है। 360-डिग्री अनुभव, मल्टीमीडिया प्रदर्शन, और एक विशेष रोबोटिक टूर गाइड साम्विद

संग्रहालय को विशेष बनाते हैं। भारतीय संविधान की फोटो-लिथोग्राफिक प्रतियों में से

एक यहां प्रदर्शित है, जिसे प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा ने लिखा और नंदलाल बोस व

अन्य कलाकारों ने सजाया था।

संग्रहालय

में संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों के योगदान को एनिमेशन के माध्यम से प्रस्तुत किया

गया है। उनकी भूमिकाओं और विचारों को जीवंत करने के लिए फाउंडिंग मदर्स नामक एक विशेष

प्रदर्शन तैयार किया गया है। संग्रहालय के कला संग्रह में विभिन्न प्रतिष्ठित कृतियां

शामिल हैं वी, द पीपल ऑफ इंडिया राजेश पी. सुब्रमणियन विविधता में एकता का प्रतीक।

इकोज़ ऑफ लिबर्टी राहुल गौतम - संवैधानिक तत्वों का आधुनिक डिज़ाइन। इंसाफ की देवी

निशांत एस. कुम्भाटिल - न्याय की निष्पक्षता का प्रतीक। त्रिआड ऑफ यूनिटी हर्षा दुर्गड्डा

- एकता, न्याय और संप्रभुता, कानून के समक्ष समानता प्रदीप बी. जोगदंड - समानता और

न्याय। फ्रीडम के. आर. नरीमन - संवैधानिक मूल्यों को जीवन में लागू करने का संदेश।

डॉ. बी. आर. अंबेडकर का होलोग्राम और उनकी आवाज़ें आगंतुकों को संविधान निर्माण के

मूल विचारों से जोड़ती हैं।

यह संग्रहालय

केवल ऐतिहासिक दस्तावेजों का संग्रह नहीं, बल्कि एक ऐसी प्रेरणादायक जगह है जो संविधान

की मूल्यवान विरासत को जनमानस से जोड़ने का काम करती है। अंजचिता बी. नायर और उनकी

टीम ने इसे कहानी कहने के एक बहुआयामी प्रारूप में क्यूरेट किया है, जो पारंपरिक संग्रहालयों

से अलग और प्रभावशाली है।

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हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र परवाना

   

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