ईवी की लागत और दक्षता सुधार के लिए नवाचार और अनुसंधान महत्वपूर्ण : कुमारस्वामी
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- Nov 19, 2024
नई दिल्ली, 19 नवंबर (हि.स.)। केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने मंगलवार को कहा कि भारत हरित और टिकाऊ परिवहन की दिशा में अपनी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की लागत कम करने और दक्षता में सुधार लाने में नवाचार और अनुसंधान महत्वपूर्ण होंगे।
कुमारस्वामी ने नई दिल्ली में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि हम बैटरी प्रौद्योगिकी, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और रीसाइक्लिंग में अनुसंधान पहलों का सक्रिय रूप से समर्थन कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि पीएम ई-ड्राइव एक व्यापक ईवी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर केंद्रित है, जो प्रोत्साहन और बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से निर्माताओं और उपभोक्ताओं दोनों का समर्थन करता है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में प्रधानमंत्री के सलाहकार तरुण कपूर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि विभिन्न शहरों में ईवी चार्जर लगाने की संभावना तलाशने की जरूरत है, केंद्र सरकार आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास में सहायता के लिए निवेश करेगी। उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य 2030 तक ईवी बिक्री में 30 फीसदी की वृद्धि करना है और सरकार उस दिशा में काम कर रही है।
फिक्की के अध्यक्ष एवं महिंद्रा समूह के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक डॉ. अनीश शाह ने कहा कि पिछले चार वर्षों में ईवी उद्योग 0 से 23 फीसदी पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि सब्सिडी एक लाख रुपये से घटकर 50 हजार रुपये और अब 25 हजार रुपये हो गई है, क्योंकि बढ़ी हुई मात्रा और पैमाने ने लागत को कम कर दिया है। यह सब्सिडी वित्त वर्ष 26 के अंत तक जारी रहेगी। वित्त वर्ष 26 के बाद इसकी आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि हम उस स्तर पर पहुँच जाएंगे, जहां उद्योग स्वयं इसे वित्तपोषित कर सकता है।
वहीं, नीति आयोग के कार्यक्रम निदेशक, सुधेंदु ज्योति सिन्हा ने कहा कि हम राज्यों को उनके इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रदर्शन के आधार पर रैंक करने के लिए ‘भारत इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इंडेक्स’ शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य सुधार को प्रोत्साहित करना, उत्कृष्टता की पहचान करना और सर्वोत्तम अभ्यास साझा करने की सुविधा प्रदान करना है। इसके अलावा उद्योग मंडल फिक्की इलेक्ट्रिक वाहन समिति की चेयरपर्सन सुलज्जा फिरोदिया मोटवानी ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए बैटरी और चार्जिंग सेवाओं पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कम करने की जरूरत है। उन्होंने अपने संबोधन में बिजली चालित वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री ई-ड्राइव कोष को बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया।
उल्लेखनीय है कि भारी उद्योग मंत्रालय इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने के लिए देशभर में एक अभियान चला रहा है, जो 2070 के लिए भारत के महत्वाकांक्षी नेट-जीरो लक्ष्य में योगदान दे रहा है। फिक्की-मैककिंसे रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक भारत की इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सार्वजनिक चार्जिंग की मांग को पूरा करने के लिए 16,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत निवेश की आवश्यकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर