जवाहर कला केंद्र: सूफ़ी गीत दमादम मस्त कलंदर से सजी महफ़िल

जयपुर, 18 नवंबर (हि.स.)। फिजा में घुली गुलाबी ठंड के बीच सूफी गीतों से सजी महफिल। कला प्रेमियों ने सुकून को आत्मसात किया और सूफी गीतों को गुनगुनाते नज़र आए। मंगलवार शाम जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में कुछ ऐसा ही दृश्य नज़र आया। मौका रहा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, प्रयागराज और जवाहर कला केंद्र, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय ‘सूफ़ी फेस्टिवल’ के पहले दिन के कार्यक्रम का जहां जुबैर नईम अजमेरी द्वारा सूफी गायन और संगीता सिंघल व समूह द्वारा कथक नृत्य की खूबसूरत प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम के दूसरे दिन 19 नवंबर को शाम 6 बजे रंगायन सभागार में 'बुन्दू खान एवं समूह' द्वारा सूफी गायन और 'सलीम राजा एवं समूह' द्वारा कव्वाली गायन की प्रस्तुति दी जाएगी।

ज़ुबैर नईम अजमेरी व समूह ने अपनी रूहानी आवाज़ में ‘अल्लाह हू- अल्लाह हू’ सूफी गीत से कार्यक्रम की शुरुआत की जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। ‘छाप तिलक सब छीनी तोसे नैना मिलाइके’ और ‘दमादम मस्त क़लंदर’ जैसे मशहूर सूफ़ी कलाम श्रोताओं के दिलों तक पहुंचे। शाम की आकर्षक प्रस्तुति में उन्होंने ‘घुंघरू की आवाज़’ गीत से समां बांधा। कोरस में वसीम, कलीम और साजिद ने सुरों की खूबसूरती को और निखारा। रिदम में तबले पर वसी, ऑक्टोपैड पर नदीम और ढोलक पर क़याम, बेन्जो और की-बोर्ड पर इनायत की धुनों ने माहौल को और भी सुरीला बना दिया।

भारत की गंगा-जमुनी तहजीब का सजीव उदाहरण प्रस्तुत करते इस कार्यक्रम में सूफी गीतों के साथ-साथ भारत के शास्त्रीय नृत्य कथक की मनोरम प्रस्तुति भी देखने को मिली। संगीता सिंघल एवं समूह ने कथक नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी। कबीर के दोहे ‘मन लागो यार फकीरी में’, ‘मेरा मुर्शिद खेले होली’, ‘सांसों की माला पे सिमरूं मैं पी का नाम’, ‘छाप तिलक’ और ‘दमादम मस्त क़लंदर’ जैसे सूफ़ी और भक्ति पदों पर कलाकारों ने कथक के चक्कर, फुटवर्क, भाव-अभिनय और नृत्य के विभिन्न अंगों के माध्यम से सूफ़ियाना भाव को खूबसूरती से अभिव्यक्त किया। समूह में संगीता सिंघल के साथ विदुषी, सिद्दी, हीरल, सुहानी, मनस्वी, शरवरी, रोशनी, अपूर्वा और आयुषी ने मंच पर अपनी प्रभावशाली प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

   

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