बीकेटीसी के सुपुर्द होंगी कैलाशानंद ट्रस्ट की सम्पत्तियां

- हाईकोर्ट ने लक्षमण झूला कैलाशानंद ट्रस्ट की संपत्तियों के लिए बीकेटीसी को रिसीवर नियुक्त किया

नैनीताल, 18 नवंबर (हि.स.)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश में लक्ष्मण झूला स्थित कैलाशानंद मिशन ट्रस्ट की मंदिर, धर्मशाला, गौशाला सहित सभी चल-अचल सम्पत्तियों का प्रबंधन बीकेटीसी यानी बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को सौंपने का निर्देश दिया है। उच्च न्यायालय के इस आदेश का बीकेटीसी अध्यक्ष हेमन्त द्विवेदी ने स्वागत करते हुए कहा कि न्यायालय की ओर से समिति पर व्यक्त विश्वास के अनुरूप सभी निर्देशों का अनुपालन जिला प्रशासन के सहयोग से सुनिश्चित किया जाएगा।

ध्यक्ष हेमन्त द्विवेदी ने कहा कि समिति 1939 से स्थापित सर्वोच्च धार्मिक कार्यदायी व्यवस्था के तहत कार्य कर रही है और राज्य के सभी धर्मस्थलों के सुचारू संचालन के लिए प्रतिबद्ध है।

न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल के न्यायालय ने यह आदेश 2014 से लंबित विवाद में प्रस्तुत साक्ष्यों पर विचार करते हुए दिया गया है। उल्लेखनीय है कि ऋषिकेश के निकट लक्ष्मण झूला से सटे हुए इस ट्रस्ट की संपत्ति का विवाद तब सामने आया, जब ट्रस्ट और उसकी संपत्ति पर अधिकार संबंधी विवाद देहरादून जिला न्यायालय में 2014 में प्रस्तुत किया गया था।

उच्च न्यायालय ने माना है कि बीकेटीसी, 1939 के अधिनियम संख्या-16 के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय है, ट्रस्ट की सम्पत्तियों के संरक्षण और संचालन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त संस्था है। न्यायालय द्वारा जारी विस्तृत दिशा-निर्देशों में ट्रस्ट की वित्तीय व्यवस्था, संपत्ति प्रबंधन, लेखांकन, खरीद प्रक्रिया, स्टाफ प्रबंधन, कानूनी प्रतिनिधित्व और सार्वजनिक संपर्क से संबंधित सभी प्रावधान सम्मिलित हैं। न्यायालय के आदेश के अनुसार विवाद के अंतिम निस्तारण तक बीकेटीसी ही ट्रस्ट की सभी सम्पत्तियों की आधिकारिक रिसीवर के रूप में कार्य करेगी।

मामले में प्रस्तुत विवरणों के अनुसार लक्ष्मण झूला के समीप ट्रस्ट के मंदिर, मसूरी की धर्मशाला तथा जौंक गांव स्थित गौशाला सहित कई सम्पत्तियों पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया था और ट्रस्ट के मूल अधिकारकर्ताओं को गलत तरीके से बाहर कर दिया गया था। इन परिस्थितियों को देखते हुए न्यायालय ने ट्रस्ट के वर्तमान रिसीवर राजेश पैन्यूली से समस्त अभिलेख बीकेटीसी के अधिकृत प्रतिनिधि को सौंपने के निर्देश दिए हैं।

बीकेटीसी चाहे तो उन्हें सह-रिसीवर के रूप में रखने का अधिकार रखेगी। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि बीकेटीसी अब से ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व किसी भी न्यायालय, प्राधिकरण एवं सरकारी विभाग के समक्ष कर सकेगी। साथ ही ट्रस्ट की सम्पत्तियों पर बीकेटीसी अपना साइनबोर्ड लगा सकेगी अलबत्ता आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि ट्रस्ट की धनराशि व संपत्ति का उपयोग केवल धर्मार्थ व जनहित कार्यों हेतु ही किया जाएगा। जिला प्रशासन को आवश्यकतानुसार समिति को सहयोग करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

   

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