कश्मीर का सेब उद्योग खतरे में, पूर्व बागवानी अधिकारी ने दी चेतावनी

श्रीनगर, 23 सितंबर (हि.स).। बागवानी योजना एवं विपणन विभाग के पूर्व क्षेत्रीय विपणन अधिकारी (एएमओ) मुख्तार अहमद खान ने चेतावनी दी है कि दशकों से अनसुलझी व्यवस्थागत कमियों के कारण कश्मीर के सेब उद्योग का भविष्य गंभीर खतरे में है। उन्होंने स्थिति को ख़तरनाक बताते हुए कहा कि अगर तत्काल सुधार नहीं किए गए तो घाटी का सबसे महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र संकट में पड़ सकता है।

खान ने बताया कि उद्योग में कटाई के बाद के बुनियादी ढाँचे का अभाव है जिससे बागवान साल-दर-साल कमज़ोर होते जा रहे हैं। आधुनिक कोल्ड स्टोरेज सुविधाएँ, नियंत्रित वातावरण (सीए) इकाइयाँ और फल प्रसंस्करण संयंत्र या तो अनुपस्थित हैं या माँग को पूरा करने के लिए बहुत सीमित हैं। उन्होंने बताया कि कश्मीर में सी-ग्रेड सेबों के प्रसंस्करण की कोई सुविधा नहीं है जो अंततः बर्बाद हो जाते हैं और लगभग 10 लाख मीट्रिक टन ए-ग्रेड फलों को संभालने में सक्षम कोई सीए भंडारण इकाई नहीं है। उन्होंने कहा कि इस भंडारण सुविधा और विश्वसनीय सभी मौसम परिवहन प्रणाली के बिना जब भी बाहरी बाजारों में उपज भेजने में देरी होती है तो यह क्षेत्र ध्वस्त हो जाता है।

उच्च घनत्व वाले सेब बागानों की शुरुआत जो उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होने वाले थे ने जटिलता की एक और परत जोड़ दी है। हालाँकि इन बागानों ने पैदावार बढ़ाई है, लेकिन इन्हें जल्दी कटाई और तेज़ वितरण की आवश्यकता होती है। खान ने चेतावनी दी कि भंडारण और प्रसंस्करण बफर के बिना, उत्पादन में अचानक वृद्धि से व्यवस्था चरमरा जाती है जो परिवहन मार्गों के बाधित होने पर आसानी से विनाशकारी हो सकती है। उन्होंने बताया कि हमारे पास इस वृद्धि को संभालने के लिए भंडारण क्षमता का अभाव है जिससे परिवहन में देरी की स्थिति में व्यवस्था चरमरा सकती है।

हालाँकि यह संकट केवल बुनियादी ढाँचे तक ही सीमित नहीं है। खान ने कहा कि एक व्यापक निर्यात नीति के अभाव ने कश्मीरी सेबों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में प्रवेश करने से रोक दिया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी या मूल्य-समर्थन योजना का अभाव भी उतना ही हानिकारक है जिससे किसान बिचौलियों के प्रभुत्व वाले खुले बाज़ारों की अस्थिरता के संपर्क में आ जाते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि एक मज़बूत डैच् व्यवस्था उत्पादकों को स्थिरता प्रदान करेगी और उन्हें संकटकालीन बिक्री से बचाएगी, खासकर उन वर्षों में जब बाज़ार की कीमतें उत्पादन लागत से नीचे गिर जाती हैं।

खान ने ज़ोर देकर कहा कि सार्थक सुधार फल उत्पादक क्षेत्रों में, खासकर कटाई के मौसम के दौरान सड़क संपर्क में सुधार और रखरखाव से शुरू होना चाहिए। बेहतर सड़कें उत्पादकों को अपनी उपज तेज़ी से ले जाने में मदद करेंगी जिससे महत्वपूर्ण समय के दौरान नुकसान कम होगा। उन्होंने हर फल उत्पादक ज़िले में कोल्ड स्टोरेज और पैक हाउस सुविधाओं के विस्तार की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया ताकि बागवान अपनी उपज को तुरंत बेचने के लिए मजबूर होने के बजाय उसे स्टोर कर सकें। इसके अलावा उन्होंने कहा कि मौसम संबंधी आपदाओं से फसलों की सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर सब्सिडी वाले एंटी-हेल नेट उपलब्ध कराए जाने चाहिए जो अक्सर कुछ ही मिनटों में बागों को नष्ट कर देते हैं।

उन्होंने कहा कि सेब उद्योग टुकड़ों-टुकड़ों में समाधान पर जीवित नहीं रह सकता और इसके लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

हिन्दुस्थान समाचार / राधा पंडिता

   

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