एलएसी पर बनी 2020 से पहले की स्थिति, डब्ल्यूएमसीसी में भारत-चीन ने की पुष्टि

नई दिल्ली, 5 दिसंबर (हि.स.)। भारत-चीन ‘सीमा मामलों पर परामर्श एवं समन्वय के लिए कार्य तंत्र’ (डब्ल्यूएमसीसी) की 32वीं बैठक आज नई दिल्ली में हुई । इसमें दोनों पक्षों ने अग्रिम तैनाती को हटाए जाने से जुड़े हालिया समझौते पर मुहर लगाई। विदेश मंत्रालय का कहना है कि इससे 2020 में भारत-चीन के बीच उभरे सीमा विवाद के समाधान का काम पूरा हो गया है।

विदेश मंत्रालय ने आज डब्ल्यूएमसीसी की बैठक के बाद एक वक्तव्य जारी कर इसकी जानकारी दी। मंत्रालय के अनुसार बैठक में विशेष प्रतिनिधियों की अगली बैठक से जुड़ी तैयारियां भी की गईं। 23 अक्टूबर को कज़ान (रूस) में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की वार्ता में विशेष प्रतिनिधियों की बैठक किए जाने का निर्णय लिया गया था।

मंत्रालय के अनुसार नई दिल्ली में आयोजित बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) गौरांगलाल दास ने किया और चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वहां के विदेश मंत्रालय के सीमा और महासागरीय मामलों के विभाग के महानिदेशक होंग लियांग ने किया। यात्रा के दौरान चीनी प्रतिनिधिमंडल के नेता ने विदेश सचिव से भी मुलाकात की।

दोनों पक्षों ने सीमा की स्थिति की समीक्षा की और संघर्ष की स्थिति दोबारा पैदा न हो, इसके लिए 2020 की घटनाओं से मिले सबक पर विचार किया। इसके लिए उन्होंने पहले से बने तंत्रों के माध्यम से राजनयिक और सैन्य स्तर पर नियमित आदान-प्रदान और संपर्क के महत्व पर प्रकाश डाला। वे दोनों सरकारों के बीच हुए प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौतों, प्रोटोकॉल और समझ के अनुसार प्रभावी सीमा प्रबंधन और शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर सहमत हुए।

उल्लेखनीय है कि गलवान घाटी की घटना और सीमा पर तनाव के चलते दोनों देशों के बीच 2020 से रिश्तो में खटास चल रही थी। कजान में दोनों देशों के नेताओं की मुलाकात से पहले वास्तविक नियंत्रण रेखा से जुड़े विवाद के सभी बाकी बिन्दुओं से अग्रिम सैन्य तैनाती हटाए जाने पर सहमति बनी थी। इसके बाद अग्रिम तैनाती हटने की पुष्टि होने के बाद अब विवाद लगभग समाप्त हो गया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा

   

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