गहरी जुताई से मिलेगा गुणवत्ता युक्त उत्पादन: डॉ. अंशु गंगवार

पूर्वी चंपारण,15 मई (हि.स.)। रबी की फसलों की कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई खरीफ फसल की उत्पादकता बढाने के लिए काफी लाभदायक होती है। कृषि विज्ञान केन्द्र परसौनी के कृषि अभियांत्रिकी विशेषज्ञ डॉ. अंशु गंगवार ने बताया कि किसान भाई ग्रीष्मकालीन जुताई मई और जून के महीने में मानसून आने के पूर्व हर हाल मे कर लेने चाहिए। गर्मियों में 9 से 12 इंच गहरी जुताई करना फायदेमंद है, क्योंकि इस समय जुताई से मिट्टी में सुधार के साथ मिट्टी में पानी धारण करने की क्षमता बढ़ती है। साथ ही खेत की कठोर परत टूट कर मिट्टी मे अगामी लगने पौधो की जड़ों तक पोषक तत्व पहुंचाने वाली क्षमता विकसित होता है।

डा.गंगवार ने बताया कि ग्रीष्मकालीन जुताई से खेत में उगे खरपतवार और काटे गये फसलो के अवशेष मिट्टी में दबकर सड़ जाते हैं, जिससे मिट्टी में जीवांश की मात्रा बढ़ती है। इस समय जुताई करने से मिट्टी में छिपे हानिकारक कीड़े-मकोड़े, उनके अंडे और लार्वा गहरी जुताई के बाद उपरी सतह पर आ जाते है, जो सूर्य की तेज प्रकाश संपर्क में आने से नष्ट हो जाते हैं। इस प्रकार मिट्टी में पाए जाने वाले हानिकारक जीवाणु, कवक आदि मर जाते हैं। जिससे फसलें बीमारी से मुक्त होती हैं।

गहरी जुताई से मिट्टी में वायु का संचार बढ़ता है, जो मिट्टी के लिए लाभकारी सूक्ष्म जीवों की बढ़ोत्तरी करने में सहायक होते हैं। गहरी जुताई से फसलों में कीटों और रोगों का प्रकोप कम हो कर फसल उत्पादन बढ़ाने मे सहायक होते है। डॉ. गंगवार ने गहरी जुताई करने के लिए मोल्डबोर्ड हल, डिस्क हल, कल्टीवेटर जैसे कृषि यंत्रों को प्रयोग में लाने की सलाह देते कहा यदि ढलान पूरब से पश्चिम की ओर हो तो जुताई उत्तर से दक्षिण की ओर करनी चाहिए। यदि भूमि की ढाल और ऊंची-नीची है तो इस प्रकार जोतना चाहिए कि मिट्टी का बहाव न हो अर्थात ढाल के विपरीत दिशा में जुताई करना चाहिए।

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हिन्दुस्थान समाचार / आनंद कुमार

   

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