डाफी टोल प्लाजा फायरिंग व अपहरण के प्रयास मामले में आरोपी को मिली जमानत 

वाराणसी,22 नवम्बर (हि.स.)। डाफी टोल प्लाजा फायरिंग व अपहरण के प्रयास मामले में आरोपित मदन गोपाल यादव को न्यायालय ने बड़ी राहत दी है। शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) कोर्ट यजुवेन्द्र विक्रम सिंह की अदालत ने आरोपित को जमानत दे दी। फुलवरिया, कुम्हारपुर थाना कैंट निवासी आरोपी मदन गोपाल को 50-50 हजार रुपये की दो जमानते एवं बन्धपत्र देने पर रिहा करने का कोर्ट ने आदेश दिया। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता वरूण प्रताप सिंह ने पक्ष रखा।

मदन गोपाल पर जुलाई 2017 में लंका थाने के डाफी टोल प्लाजा पर जबरदस्ती मारपीट करने, ललकारने, अपहरण व हत्या करने के प्रयास का आरोप है। अभियोजन पक्ष के अनुसार रोहनिया थाना क्षेत्र के बेटावर निवासी ईंट भट्ठा संचालक सर्वेश तिवारी ने लंका थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि 6 जुलाई 2017 को सांयकाल करीब 7.30 बजे वह अपनी सफारी गाड़ी से रामनगर से घर वापस लौट रहा था। इसी दौरान डाफी टोल प्लाजा से वह 100 मीटर पहले ही पहुंचा था तभी पीछे से आ रही बसपा का झंडा लगाए हुए सफेद रंग की दो फारच्यूनर व एक सफारी गाड़ी चालक ने प्रार्थी की गाड़ी को ओवरटेक कर रोक लिया। उस समय प्रार्थी की गाड़ी में सीर निवासी संतोष यादव, राजेश यादव, गुड्डू यादव व चालक अजीत पाल मौजूद थे। बदमाशों की संख्या लगभग 12 थी। जिसमें एक व्यक्ति जिसका नाम अतुल राय (पूर्व सांसद)जो कि विधान सभा चुनाव में जमानियां गाजीपुर से बसपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ा था। वह मौजूद था। जिसको प्रार्थी ने पहचान लिया। ये लोग आपस में एक दूसरे को ललकारते हुए तथा प्रार्थी को गाली देते हुए बोले कि इसको अपनी गाड़ी में ले चलो। प्रार्थी तथा उसके साथ मौजूद लोगों के विरोध करने पर सभी बदमाश प्रार्थी को बुरी तरह से मारे तथा प्रार्थी का अपहरण कर जबरिया अपनी फारच्यूनर गाड़ी में बैठा लिए। इसी बीच मौका पाकर प्रार्थी के चालक ने उसके घर फोन कर दिया। प्रार्थी के परिवार के कई लोग उस समय अखरी बाईपास चौराहे पर कुछ कार्यवश मौजूद थे। जो सूचना पाते ही मौके पर पहुँच कर बदमाशों की गाड़ी को रोक लिए। जिसके बाद सभी बदमाश लगभग 25 राउंड पिस्टल व रायफल से फायरिंग किए। जिसके कारण प्रार्थी के परिवार को पीछे हटना पड़ा। तथा प्रार्थी को बदमाश अपनी गाड़ी से धक्का देकर बाहर फेंक दिए। इसके बाद प्रार्थी को लक्ष्य कर जान से मारने की नीयत से दो तीन गोली भी चलाई। लेकिन भाग्यवश प्रार्थी को गोली नही लगी। इसी बीच मौके का फायदा उठाकर सभी बदमाश भाग गये। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से उनके अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आरोपित को गलत एवं विधि विरूद्ध तरीके से नामित कर दिया गया है। वह घटना में संलिप्त नही हैं, तथा नामित नहीं है। आरोपित ने विधानसभा के चुनाव में तत्कालीन सरकार के खिलाफ लड़ रहे प्रत्याशी का विरोध किया था। जिसके कारण राजनैतिक द्वेषवश उसे उक्त अपराध में नामित कर दिया गया है। वह सी०सी०टी०वी० में भी उपस्थित नहीं है। आरोपित ने उच्च न्यायालय में रिट पेटीशन प्रस्तुत किया था, जिस पर उच्च न्यायालय के आदेश पर आरोप पत्र प्रेषित करने तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गयी थी। मामले में सह आरोपित गौरव कुमार द्विवेदी व तबरेज खान की अग्रिम जमानत 3 जुलाई 2024 को स्वीकार की जा चुकी है। तथा 23 दिसम्बर 2017 को सह आरोपित शोभित सिंह उर्फ गोलू की जमानत स्वीकार की जा चुकी है। व सह आरोपित सुजीत सिंह की जमानत उच्च न्यायालय से स्वीकार की जा चुकी है।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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