इतिहास में फिर दर्ज होने जा रही पांच अगस्त की तारीख! वक्फ बोर्ड पर कसेगा शिकंजा, किसी भी संपत्ति को नहीं घोषित कर पाएंगे 'वक्फ संपत्ति'
- Sanjay Kumar
- Aug 04, 2024
जम्मू। स्टेट समाचार वर्ष २०१९ की ५ अगस्त को जम्मू-कश्मीर से विवादास्पद अनुच्छेद ३७० की समाप्ति कर दी गई। इसके अगले ही वर्ष २०२० में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी तारीख यानि कि ५ अगस्त को ही हिंदुओं के महाआस्था के केंद्र अयोध्या के श्री राम मंदिर के लिए भूमि पूजन कर आधारशिला रखी थी। श्री राम मंदिर के ४९२ साल पुराने संघर्ष के इतिहास बाद ९ नवंबर २०१९ को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने श्रीराम मंदिर निर्माण के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। अब वर्ष २०२४ की ५ अगस्त को भी केंद्र सरकार कुछ नया धमाका करने जा रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार वक्फ अधिनियम में बड़ा बदलाव करने जा रही है जिसके लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अधिनियम में बदलावों को शुक्रवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी प्रदान कर दी थी। इस विधेयक के जरिये वक्फ बोर्डों की किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने और उस पर कब्जा करने की शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा। विधेयक के माध्यम से किए जा रहे इन बदलावों में केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की शक्तियां कम करेगी। केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाएगा। वक्फ की संपत्ति घोषित करने से पहले उसका अनिवार्य सत्यापन सुनिश्चित किया जाएगा। इस विधेयक बदलाव में विवादित भूमि के नए सिरे से सत्यापन के प्रावधान भी किए गए हैं। आपको बता दें कि वक्फ अधिनियम शुरू में १९५४ में पारित किया गया था लेकिन बाद में वर्ष १९९५ में इसे एक नए संस्करण द्वारा प्रस्थापित किया गया। वक्फ अधिनियम १९९५ की धारा ४० बोर्ड को उस संपत्ति के स्वामित्व को अधिगृहीत करने, नोटिस जारी करने या जांच करने का अधिकार देती है जिसके बारे में उसे विश्वास हो कि वह वक्फ की संपत्ति है। उल्लेखनीय है कि वक्फ बोर्ड को मिले इस अधिकार के खिलाफ कई हिंदूवादी संगठन आंदोलन चला रहे थे जिसमें राष्ट्रवादी प्रखर प्रवक्ता पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने हर मंच से वक्फ बोर्ड को मिले इन अधिकारों के प्रति अपनी आवाज बुलंद की है जिसका नतीजा है कि सरकार को इस अधिनिय में बदलाव करने को मजबूर होना पड़ा है। अपनी असीमित ताकत के चलते वक्फ बोर्ड आजादी के बाद से ही एक तबके में सुर्खियों का विषय रहा है। सर्वशक्तिमान वक्फ बोर्ड के अधिकारों की चर्चा यूं तो दबे-छिपे दशकों से लोगों की जुबान पर थी, लेकिन सोशल मीडिया के युग में इसकी हिस्ट्री-जियोग्राफी की खुलकर चर्चा होने लगी है। लोग खुले आम इसके नफे-नुकसान के बारे में बातें करके उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं। इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर है कि बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र की हृष्ठ्र सरकार अब वक़्फ़ बोर्ड को लेकर इसी संसद सत्र में एक बिल ला सकती है। इसे लेकर वक्फ बोर्ड के पैरोकार उलझन में हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार से जुड़े लोगों का तर्क है कि इस संशोधन बिल से वक़्फ़ बोर्ड के अधिकारों और मनमानी पर अंकुश लग जाएगा सूत्रों के मुताबिक मसौदा तैयार है जो इस हफ्ते संसद में पेश किया जा सकता है। इस प्रस्तावित संशोधन का उद्देश्य वक्फ बोर्ड की शक्तियों और उनके द्वारा संपत्तियों की वर्गीकरण को नियंत्रित करना है। 1954 में लागू हुआ वक्फ बोर्ड अधिनियम, एक ऐसा कानून है जो वक्फ संपत्तियों की प्रबंधन और प्रशासन के लिए उत्तरदाई होता है। वक्फ संपत्तियां वह संपत्तियां होती हैं जो मुस्लिम धर्मावलंबियों द्वारा धार्मिक या समाजिक उपयोग के लिए दान की जाती हैं और इनका प्रबंधन वक्फ बोर्ड करता है। वर्तमान कानून के तहत वक्फ बोर्ड को उन संपत्तियों को 'वक्फ संपत्ति' के रूप में घोषित करने का अधिकार होता है, जो विशेष रूप से वक्फ के उद्देश्यों के लिए दान की गई होती है।
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वक्फ बोर्ड के मिले इस अधिकार के खिलाफ पुष्पेंद्र्र कुलश्रेष्ठ ने की थी शुरुआत
जाने माने राष्ट्रवादी प्रवक्ता पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने वक्फ बोर्ड को मिले ऐसे अधिकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर एक आंदोलन की शुरुआत की थी जिसके कारण वे हिंदुओं की किसी भी संपत्ति को अपनी संपत्ति घोषित कर सकता है। इस बोर्ड के पास ऐसी ताकत है, जो किसी से भी उसका घर छीन सकती है. और अदालत तक में इसकी कोई सुनवाई नहीं हो सकती। पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने हर मंच से इसका पुरजोर विरोध किया जिसके लिए उन्हें लाखों समर्थकों का सहयोग मिला और इसी एकता और पुष्पेंद्र जैसे प्रणेता राष्ट्रवादियों के कारण ही सरकार को वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन करने को मजबूर होना पड़ा।