एनआरसी की घबराहट में आत्महत्या मामले पर तृणमूल का प्रदर्शन, भाजपा और चुनाव आयोग पर लगाया आरोप

कोलकाता, 30 अक्टूबर (हि. स.)। उत्तर 24 परगना जिले के पानीहाटी में गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस ने उस 57 वर्षीय व्यक्ति की आत्महत्या के खिलाफ विरोध रैली निकाली, जिसने कथित तौर पर राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर पैदा हुई चिंता के कारण जान दे दी थी।

मृतक की पहचान प्रदीप कर के रूप में हुई है, जो मंगलवार को अपने घर में फंदे से झूलते मिले थे। यह घटना उस घोषणा के एक दिन बाद सामने आई, जब चुनाव आयोग ने पूरे राज्य में एसआईआर प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी।

स्थानीय पुलिस के अनुसार, शव के पास से मिले हस्तलिखित नोट में प्रदीप कर ने व्यक्त किया था कि अधूरे दस्तावेजों के कारण उनका नाम मतदाता सूची से हट सकता है।

रैली का नेतृत्व विधानसभा में तृणमूल के मुख्य सचेतक और स्थानीय विधायक निर्मल घोष ने किया। इस दौरान पार्टी कार्यकर्ता और स्थानीय निवासी पानीहाटी की सड़कों पर “प्रदीप कर को न्याय दो” लिखे बैनर और कर की तस्वीरें लेकर मार्च कर रहे थे।

प्रदर्शनकारियों ने भाजपा और चुनाव आयोग के खिलाफ नारेबाजी की और उन पर “मतदाता सत्यापन के नाम पर आम नागरिकों में दहशत फैलाने” का आरोप लगाया।

घोष ने कहा कि प्रदीप कर की मौत एनआरसी और एसआईआर के डर के कारण हुई है। भाजपा और चुनाव आयोग ने जो भय और भ्रम का माहौल बनाया है, उसी ने इस निर्दोष व्यक्ति की जान ली।

उन्होंने आगे कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए। ये दोनों इस आतंक के माहौल के सीधे जिम्मेदार हैं। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वे भी वैसे ही अपने दस्तावेज दिखाएं जैसे आम नागरिकों से मांग की जा रही है।

तृणमूल नेताओं का कहना है कि कर के सुसाइड नोट में नागरिकता साबित करने की चिंता और मतदाता सूची से नाम हटने का भय स्पष्ट रूप से झलकता है। एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “नोट में उन्होंने लिखा है कि अधूरे दस्तावेजों के कारण उनके अधिकार खत्म हो सकते हैं। यह पूरे अभियान से उपजे असुरक्षा के माहौल को दर्शाता है।”

पार्टी कार्यकर्ताओं के अनुसार, इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में भय का माहौल है। कई निवासी आशंकित हैं कि एसआईआर प्रक्रिया “पीछे के दरवाजे से एनआरसी लागू करने” की कवायद हो सकती है, जिससे कमजोर वर्गों को निशाना बनाया जा रहा है।

भाजपा और चुनाव आयोग ने अब तक तृणमूल के आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। प्रदीप कर की यह मौत उस समय हुई है जब एसआईआर अभ्यास को लेकर राज्य में राजनीतिक तनाव बढ़ गया है और तृणमूल भाजपा पर 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले “वैध मतदाताओं के नाम सूची से हटाने” की साजिश रचने का आरोप लगा रही है।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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