मोहर्रम की 9वीं तारीख पर दरियाबाद से निकली दो रजिस्टर्ड मेहंदियां

-श्रद्धा और परम्परा से सजी मेहंदियों ने अकीदतमंदों का दिल जीता-11 किलो चांदी से जड़ा झूला बना आकर्षण का केंद्र

प्रयागराज, 05 जुलाई (हि.स.)। मोहर्रम की 9वीं तारीख शनिवार को दरियाबाद मोहल्ले में गम, श्रद्धा और परम्परा देखने को मिला। इस मौके पर दरियाबाद के दो अलग-अलग इमामबाड़ों से रजिस्टर्ड मेहंदी जुलूस निकाले गए। ये जुलूस समयबद्ध और सलीके से अपने-अपने मार्गों से होकर इमामबाड़े तक पहुंचे। मोहम्मद महबूब डावर और दुलारे खाँ की अगुवाई में निकली ये मेहंदियां अकीदतमंदों की गहरी आस्था और हुसैनी मोहब्बत की गवाही दे रही थीं।

पहली रजिस्टर्ड मेहंदी दरियाबाद के कुरेशनगर स्थित इमामबाड़ा से निकाली गई। जिसकी अगुवाई तजियादार मोहम्मद महबूब डावर ने की। इस मेहंदी को खास तरीके से सजाया गया था। कारीगरों ने गजब की खूबसूरती और बारीकी से सजावट की थी, जिससे यह मेहंदी देखते ही बन रही थी। नाैजवानों ने अपने मजबूत कंधों पर मौला हुसैन की मेहंदी को उठाकर श्रद्धा अर्पित की।

वहीं, दूसरी रजिस्टर्ड मेहंदी जुलूस जोगी घाट के पंचायती इमामबाड़ा से निकाला गया, जिसमें मासूम अली असगर का झूला शामिल था। इस झूले की अगुवाई ताजियादार दुलारे खाँ ने की। उन्होंने बताया कि यह झूला वर्षों पुराना और ऐतिहासिक है। खास बात यह रही कि इस बार झूले को 11 किलो चांदी से सजाया गया है। और उसकी पूरी बॉडी चांदी की पट्टियों से जड़ी हुई थी, जिससे यह झूला श्रद्धालुओं और दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बना रहा।

मो. अकरम शगुन ने बताया कि दोनों मेहंदियों के मार्ग अलग-अलग रहे। लेकिन दोनों अपने-अपने तय रास्तों से होकर अपने-अपने इमामबाड़े तक पहुंचीं। इस मौके पर बड़ी संख्या में अकीदतमंदों की भीड़ रही। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने भी इन जुलूसों में भरपूर सहभागिता की और इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद करते हुए श्रद्धा और अकीदत के साथ ‘या हुसैन’ की सदाएं बुलंद कीं।

इस अवसर पर शगुन ग्रुप की तरफ से लंगर किया गया, जो पूरे रास्ते रहा। इस दौरान हकीम रिजवान, हमीद, सांसद उज्जवल रमण सिंह, हरिओम साहू, महबूब डाबर, नवाब अहमद कुरैशी, मो. चांद बाबा, अल्ताफ अहमद, मो. अलीम, मो. लईक, मो. नईम, अकरम शगुन आदि हजारों अकीदतमंद शामिल रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

   

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