मां शैलपुत्री की आराधना से मनोवांछित फल की होती है प्राप्ति : पंडित अखिलेश मिश्रा

लोहरदगा, 22 सितंबर (हि.स.)।

लोहरदगा जिला मे शारदीय नवरात्र का शुभारंभ पूरे भक्ति भाव के साथ हुआ। सोमवार सुबह से ही लोग माता की आराधना मे लीन हो गए। हर तरफ साफ, सफाई और स्वच्छ वातावरण के बीच भक्ति गीतों के बजने से पूरा वातावरण भक्ति मय हो गया है। लोगों ने कलश स्थापना कर माता की आराधना की। हर तरफ उत्साह का वातावरण, लोग भक्ति के रंग में रंगे नजर आए। इस मौके पर पंडित अखिलेश मिश्रा ने बताया कि शक्ति, ऐश्वर्य, ज्ञान - विज्ञान की अधिष्ठात्री देवी महाकाली,महालक्ष्मी और महासरस्वती है । इन्हीं तीन महाशक्तियों का समर्पित रूप मां दुर्गा का है। इसी पराशक्ति भगवती से ब्रह्मा,विष्णु,महेश तथा संपूर्ण स्थावर - जंगमात्मक सृष्टि उत्पन्न हुई है। संसार में जो कुछ भी है इसी में समाविष्ट है। देवी ने स्वयं ही कहा है कि समस्त विश्व मैं ही हूं मेरे सिवा अन्य कोई अविनाशी वस्तु नहीं है। दुर्गासप्तशती में पहले स्थान पर मां शैलपुत्री के महामात्य का बखान किया गया है। शैलपुत्री का अर्थ है पर्वत की बेटी। यज्ञ में राजा दक्ष द्वारा शिव का तिरस्कार देख कर मां सती ने यज्ञ वेदी में ही अपने को होम कर दिया। सती को कठोर तपोपरांत पार्वती के रूप में जन्म लेना पड़ा । शैलराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। इनके अनेकों नाम हैं। ये ही शैलजा , उमा और गौरी के नाम से विख्यात हैं। भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए इन्होंने कठोर तप किया और अपर्णा कहलायीं। देवी पार्वती प्रथम और शिव की शक्ति हैं। प्रकृति में जितने भी अजर-अमर तत्व हैं , वे इनके ही अधीन हैं। इनकी आराधना से ही नवरात्र का आरंभ माना जाता है। माता अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती है। जगतजननी मां दुर्गा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चतुविद् पुरुषार्थ को प्रदान करने वाली है।

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हिन्दुस्थान समाचार / गोपी कृष्ण कुँवर

   

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