आदिवासियों की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है मुड़मा मेला : मंत्री

मेला में शाम‍िल मंत्री शिल्‍पी नेहा तिर्की समेत अन्‍य

रांची, 9 अक्टूबर (हि.स.)। ऐतिहासिक राजी पाड़हा मुड़मा जतरा मेला का समापन परंपरा और उत्साह के साथ गुरूवार को संपन्न हुआ।

समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की शामिल हुईं। उन्होंने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि मुड़मा जतरा में शामिल होना उनके लिए गौरव का क्षण है। उन्‍होंने कहा कि मुड़मा जतरा स्थल पर प्रशासनिक भवन और अतिथिशाला निर्माण का प्रस्ताव कल्याण विभाग के समक्ष लंबित है। जिसे सरकार जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी।

उन्होंने कहा कि इस जतरा मेला का निरंतर आयोजन हमारी संस्कृति, एकता और अस्मिता की जीवंत अभिव्यक्ति है, जिसे राज्य सरकार पूर्ण समर्थन देती रहेगी।

वहीं समापन दिवस पर खोड़ा मैदान में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा रहा। हाथी-घोड़े, रंपा-चंपा के साथ झूमते-नाचते लोगों ने पारंपरिक खोड़ा नृत्य से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह नृत्य आदिवासी समाज की सांस्कृतिक समृद्धि और गौरवशाली विरासत का प्रतीक है। मंत्री ने कहा कि मांडर जतरा की प्रसिद्धि आज देश-विदेश तक पहुंच चुकी है, जो झारखंड की पहचान को और मजबूत करती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार आदिवासी और मूलवासी समुदायों की जनभावनाओं के साथ हर कदम पर खड़ी है। पूर्व की सरकारों में लैंड बैंक के नाम पर सरना-मसना भूमि लेने की कोशिशें हुईं, लेकिन मौजूदा सरकार उन पवित्र स्थलों की रक्षा और संरक्षण सुनिश्चित कर रही है।

मेले में बडी संख्याे में लोगों की भीड मौजूद थी।

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हिन्दुस्थान समाचार / Manoj Kumar

   

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