अगस्त तक सरकारी कार्यालय एवं आवासीय कॉलोनियों में प्रीपेड मीटर लगाने का लक्ष्य : मनोहर लाल
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- Jun 06, 2025

- प्रीपेड मीटर लगाने पर बिल में मिलेगी दो से पांच प्रतिशत की छूट
- मांग के अनुसार सभी राज्यों को पूरी मिलेगी बिजली
चंडीगढ़, 06 जून (हि.स.)। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि अगस्त 2025 तक सरकारी भवन, कार्यालय और आवासीय कॉलोनियों में प्रीपेड मीटर लगाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रीपेड मीटर लगाने पर बिल में दो से पांच प्रतिशत की प्रति महीना रियायत दी जाएगी। हरियाणा को पांच प्रतिशत रियायत देने की घोषणा की गई है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल शुक्रवार को चंडीगढ़ में आयोजित उत्तर भारतीय राज्यों के बिजली मंत्रियों के सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे थे। सम्मेलन के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रिन्यूएबल एनर्जी की ओर कदम बढ़ाया जा रहा है। जिन प्रदेशों में बिजली की कमी होती थी, वे आज सरप्लस प्रदेश बन चुके हैं।
ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान सहित कई अन्य प्रदेशों के मंत्रियों एवं अधिकारियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन के दौरान इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन कैपेसिटी, ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने और संसाधनों की पर्याप्तता सुनिश्चित करने सहित ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर व्यापक और सार्थक चर्चा हुई। इसके साथ ही केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर देश के ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर को सशक्त बनाने में दिशा में लगातार कार्य कर रही है, इसपर भी केंद्रीय मंत्री ने ऊर्जा मंत्रियों को विस्तार से अवगत कराया।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि छह घंटे चली लंबी बैठक में ट्रांसमिशन कैपेसिटी को बढ़ाने के साथ लाइन लोस को घटाने पर चर्चा हुई। वहीं, उत्तरी राज्यों को अगस्त 2025 तक सभी सरकारी भवन, कार्यालय और आवासीय कॉलोनियों में प्रीपेड मीटर लगाने का लक्ष्य दिया गया। इसके बाद कर्मिशयल और हाईलोड वाले उपभोक्ताओं को प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने बताया कि गर्मियों के सीजन में बिजली की डिमांड पीक पर होती है। वर्ष 2024 में 250 गीगावाट डिमांड थी, जबकि 2025 में यह बढक़र 260 गीगावाट के ऊपर पहुंच गई है। डिमांड के हिसाब से देशभर में बिजली पर्याप्त है।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने स्पष्ट किया कि ऊर्जा मंत्रियों को लाइन लोस कम करने का लक्ष्य दिया गया है। फिलहाल राष्ट्रीय स्तर पर लाइन लोस की औसत 16 प्रतिशत है, जबकि कई राज्यों में यह औसत 17 से 20 प्रतिशत है। लाइन लोस को कम करने और विद्युत निगमों की आमदन बढ़ाने के लिए स्मार्ट मीटर लगाने का फैसला लिया गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा