अपनी विरासत को जानना, समझना और सहेजना है जरुरी : आचार्य ललित कुमार अवस्थी

मंडी, 23 मई (हि.स.)। सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में इतिहास विभाग सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी द्वारा गुजरात भ्रमण से संंबंधित विरासत के पदचिन्ह: शैक्षणिक भ्रमण प्रतिवेदन एवं वृत्तचित्र विमोचन समारोह बड़ी गरिमा एवं उत्साह के साथ विश्वविद्यालय परिसर में स्थित अमृत महोत्सव सभागार में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में कुलपति आचार्य ललित कुमार अवस्थी बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य राजेश कुमार शर्मा अधिष्ठाता छात्र कल्याण ने की।

मुख्य अतिथि आचार्य ललित कुमार अवस्थी ने अपने संबोधन में सरदार पटेल के राष्ट्र निर्माण में योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि उनकी जन्मभूमि एवं कर्मभूमि का शैक्षणिक भ्रमण हमारे विद्यार्थियों के लिए गौरव का विषय है। उन्होंने कहा कि आज प्रस्तुत किया गया यह वृत्तचित्र एवं प्रतिवेदन निश्चय ही इस भ्रमण की झलकियाँ, अनुभव और सीख को दर्शाता है। मैं सभी विद्यार्थियों की मेहनत, शिक्षकों के मार्गदर्शन और इस आयोजन से जुड़े समस्त सहयोगियों को बधाई देता हूँ।

उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि जीवन में जितना संभव हो, अनुभव आधारित शिक्षा को अपनाएँ। किताबी ज्ञान से आगे बढ़कर जब हम व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करते है व हमें अपनी विरासत को जानना, समझना और सहेजना है, यही हमारी आने वाली पीढ़ियों के प्रति सच्ची जिम्मेदारी है।

कार्यक्रम अध्यक्ष आचार्य राजेश कुमार शर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि शैक्षणिक भ्रमण एक ऐसा माध्यम है, जिससे विद्यार्थियों को पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ वास्तविक जीवन से भी सीखने का अवसर मिलता है। जब विद्यार्थी ऐतिहासिक स्थलों, वैज्ञानिक संस्थानों, उद्योगों या प्राकृतिक स्थलों का भ्रमण करते हैं तो वे विषयों को जीवंत रूप में समझ पाते हैं। यह अनुभव उनके व्यक्तित्व निर्माण में एक मजबूत नींव का कार्य करता है। विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ.राकेश कुमार शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि इतिहास केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं होना चाहिए। जब छात्र इतिहास को देख और समझ पाते हैं, तभी उसमें गहराई से जुड़ाव होता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा

   

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