भारतीय संस्कृति में प्रकृति को माता का स्थान : कृष्ण मनोहर
- Admin Admin
- Nov 05, 2025
--आरएसएस का प्रकृति वंदन एवं गुरूनानक जयंती कार्यक्रम
प्रयागराज, 05 नवम्बर (हि.स.)। भारतीय संस्कृति में प्रकृति को माता का स्थान दिया गया है। हमारे वेदों, उपनिषदों और धर्मग्रंथों में प्रकृति की पूजा इसलिए की गई है क्योंकि प्रकृति ही जीवन का आधार है। यदि प्रकृति सुरक्षित है तो मानव जीवन सुरक्षित है। पर्यावरण संरक्षण केवल सामाजिक उत्तरदायित्व नहीं बल्कि सांस्कृतिक कर्तव्य भी है।
यह बातें मुख्य वक्ता भाग प्रचार प्रमुख कृष्ण मनोहर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रज्जू भैया नगर, प्रयाग दक्षिण के पर्यावरण आयाम के तत्वावधान में बुधवार को प्रकृति वंदन एवं गुरुनानक जयंती कार्यक्रम वैभव इन, जगमल का हाता राजरूपपुर में कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कही।
इस अवसर पर वक्ताओं ने आज के प्रदूषण, पेड़ों की कटाई, जलस्रोतों के सूखने और बदलते वातावरण के दुष्परिणामों को भी विस्तार से समझाया। साथ ही सभी उपस्थित लोगों को वृक्ष संरक्षण, नदी तालाबों की स्वच्छता और जैव विविधता को बचाने के संकल्प के लिए प्रेरित किया गया।
इसी क्रम में वक्ताओं ने कहा कि गुरु नानक देव की जयंती पर उनके जीवन से प्रेरक प्रसंगों तथा राष्ट्र एवं समाज की रक्षा के लिये उनके द्वारा स्थापित खालसा पंथ एवं सिक्ख समाज द्वारा अपना सर्वोच्च बलिदान दिया गया है। चाहे गुरु गोविंद सिंह के शहीद चारों साहबजादे हों, चाहे गुरु तेग बहादुर की शहादत आदि बातों का उल्लेख किया गया।
वक्ताओं ने बताया कि गुरु नानक देव ने मानवता, परिश्रम, सत्य, सेवा और एकता का संदेश दिया। उनके विचार आज भी समाज को शांति और सद्भाव के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। कार्यक्रम का संचालन नगर कार्यवाह भूपेन्द्र ने किया। इस मौके पर संघचालक रवि प्रकाश, प्रकृति वंदन कार्यक्रम संयोजक जगजीत, संयोजिका सुमन, अध्यक्ष कमलेश कुमार सिंह, अमित मिश्रा समेत मातृशक्ति और बंधु उपस्थित रहे।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र



