मछली जम्मू कश्मीर की स्वाद ले रहा है पंजाब रंजीत सागर झील में मछली चोरों के हौसले बुलंद मछली चोरी रोकने के लिए उचित कदम उठाए विभाग ।
- editor i editor
- Dec 10, 2024

लखनपुर, अनिल शर्मा स्टेट समाचार / रंजीत सागर झील में मछलियों को चोरी से पकडऩे में पंजाब के लोग बाज नहीं आ रहे हैं। मछली पालन विभाग हर साल मछलियों की बीज इस झील में डालता है लेकिन मछलियां पकडऩे के लिए चोरी छिपे पंजाब के लोग आ जाते हैं हालांकि कई बार पंजाब के लोगों के स्टीमर, मछली पकडऩे के लिए बिछाए जाने वाले जाल को जब्त किया जा चुका है लेकिन फिर भी तस्कर बाज नहीं आ रहे हैं।दरअसल हर वर्ष यहां दो सो टन से यादा मछली का उत्पादन होता है। फिशरी विभाग ने रियासत में पांच सो के करीब लोगों को मछली पकडऩे का लाइसेंस दे रखा था लेकिन यहां बिना लाइसेंस वाले की मछली पकडकर हमारे लोगों के हक को खा रहे हैं। चूंकि यह उद्योग काफी सस्ता है और विभाग को भी इसके लिए यादा सिरदर्द नहीं करनी पड़ती लेकिन मछली चोरी रोकने के लिए विभाग को उचित कदम उठाने होंगे। सबसे पहले तो उस व्यापार को बढ़ावा देने के लिए उचित कदम उठाए जाने जरूरी हे जबकि इसके अलावा चोरी को रोकने के लिए झील में औचक स्टीमर से दौरे किए जाने चाहिए। ताकि चोरी से मछली पकडऩे वालों पर कार्रवाई की जा सके और कार्रवाई के डर से चोरी से मछली पकडऩे वाले भी इस ओर अपना रुख न कर पाएं। आपको बता दें संभाग में पांच से छह के करीब मछली के ब्रीडिंग स्टेशन हैं। जमू के रास्ते तक करीब पचास के आसपास नाले हैं जहां पर मछली होती है। इसीलिए सरकार को इनके संरक्षण और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए अब सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है। सूत्रों की मांने तो दोपहर के बाद जैसे ही पांच बजे का समय करीब आता है यह मछली चोर सक्रिय हो जाते हैं और झील के विभिन्न कोनो से अपनी नावों को लेकर निकलते हैं और रणजीत सागर झील में जाल लगाते हैं इसके बाद जाल में जब मछली फस जाती है तो उसे निकालकर अपने साथ पंजाब की तरफ ले जाते हैं।यहां चोरी की गई मछली को आगे मार्केट में बेचने के लिए भेज दिया जाता है
वहीं स्थानीय लोगों की माने तो जम्मू कश्मीर के हिस्से में आने वाली रणजीत सागर झील का 60 प्रतिशत का हिस्सा है जिसका मछली पकड़ने का ठेका बीते करीब नौ महीनो से नहीं हो पाया है इसकी वजह है की मछली ठेके के रेट में एकदम से बढ़ोतरी होना और उसकी रकम को बढ़ा देना बसोहली व जम्मू कशमीर के ठेकेदारों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है,उनका कहना है कि अगर विभाग मछली पकड़ने के ठेके के दामों को कम करता है तो उससे उन्हें सहूलियत मिलेगी। वही मछली पालन विभाग के सहायक निदेशक से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था की मछली चोरों को रोकने के लिए और उन तक पहुंचने के लिए विभाग के पास बोटस तक उपलब्ध नहीं है अपने स्टाफ को समय-समय पर जरूरी निर्देश जारी किए जाते हैं। बता दे की मछली चोरों के हौसले बीते करीब एक सप्ताह से बुलंद हो चुके हैं और वह रोजाना भारी संख्या में जम्मू कश्मीर की रणजीत सागर झील के हिस्से से लाखों रुपए की मछली निकाल रहे है और सरकारी खजाने को चूना लगा रहे हैं जिस पर संबंधित विभाग भी मौन बैठा है लोगों ने इसे साफतौर पर विभाग की मिली भगत करार दिया है धडडले से हो रही मछली चोरी के लिए कहीं ना कहीं ठेकेदार और मछली पालन विभाग के फील्ड स्टाफ की भी मिलीभगत हो सकती है क्या कहना है विभाग का। वही जब हमने मत्स्य विभाग के एडिशनल डायरेक्टर पवन पाल शर्मा से इस बारे में बात की तो उन्होंने साफ तौर पर यह कह दिया कि हमारे पास ना तो स्टीमर है और हमारे पास स्टाफ की कमी है और रणजीत सागर डैम का क्षेत्र बहुत बड़ा है।