दिसंबर के शुरुआत से ही पर्यटन स्थलों पर बढ़ने लगी है सैलानियों की भीड़

आसनसोल, 09 दिसंबर (हि. स.)। दिसंबर की शुरुआत होते ही पश्चिम बर्दवान का मशहूर पर्यटन स्थल मैथन जलाशय तथा बर्नपुर के नेहरु पार्क में एक बार फिर रौनक लौटने लगा है। सर्दियों में घूमने-फिरने की परंपरा के कारण मैथन हर साल हजारों लोगों का पसंदीदा जगह बनता रहा है। इस बार भी स्थिति कुछ अलग नहीं है।

दिसंबर की शुरुआत में ही मैथन के घाटों पर चहल-पहल शुरू हो जाती है। खासतौर पर शनिवार-रविवार को भारी भीड़ उमड़ती है। अभी से ही सैलानियों को दामोदर नदी घाट के किनारे घूमते देखा जा रहा है। बर्नपुर के नेहरू पार्क को भी काफी खूबसूरती से सजाया गया है। इस वर्ष पार्क प्रबंधन की ओर से बच्चों के खेलने के लिए कई नए आकर्षक चीज लगाई गई है।

स्थानीय नाविकों ने शुरू की सजावट और मरम्मत

मैथन में नाविकों की व्यस्तता इन दिनों सबसे अधिक रहती है। साल भर भले ही नावें घाट पर शांत खड़ी रहती हों, लेकिन दिसंबर-जनवरी में ये नावें ही दर्जनों परिवारों की रोज़ी-रोटी बन जाती हैं।

एक स्थानीय नाविक अलाउद्दीन अंसारी ने बताया कि सीजन शुरू होने से पहले सभी नावों की मरम्मत, पुताई और सजावट का काम तेज कर दिया गया है। कई नावों में नई लकड़ी लगाई गई है, जबकि कुछ में सुरक्षा-कवच को मजबूत किया गया है। उन्होंने कहा कि अगर इस क्षेत्र को बेहतर सुविधा मिले, सड़क और सफाई व्यवस्था मजबूत हो, तो यहां पर्यटकों की संख्या दोगुनी हो सकती है।

होटल-लॉज भी तैयार, बुकिंग में तेजी

मैथन और उसके आसपास स्थित होटल एवं लॉज संचालक भी इस सीजन में सबसे अधिक सक्रिय दिख रहे हैं। सोमवार दिनभर कई होटलों में कमरों की एडवांस बुकिंग होती रही।

स्थानीय होटल संचालकों के अनुसार, 10 दिसंबर के बाद से बुकिंग लगभग बढ़ने की संभावना है। कई परिवार क्रिसमस-नए साल के लिए पहले से ही कमरा बुक करा रहे हैं।

होटल मालिकों ने बताया कि इस बार सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनज़र प्रशासन द्वारा अतिरिक्त पेट्रोलिंग और निगरानी बढ़ाने का आश्वासन मिला है।

मैथन पिकनिक स्थल में भीड़ बढ़ने के साथ कड़ी सुरक्षा की जरूरत पड़ती है। सोमवार को पुलिस टीमों ने घाट और मुख्य सड़क मार्गों का निरीक्षण किया। प्रशासन ने बताया कि छुट्टियों में भीड़ बढ़ने के कारण जलाशय क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की तैनाती होगी और बोटिंग ज़ोन में सुरक्षा निर्देशों का सख्ती से पालन कराया जाएगा।

हालांकि सुविधाओं की कमी अब भी इस इलाके की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है।

कुछ स्थानीय नाविकों ने बताया कि पार्किंग शुल्क वसूला जाता है लेकिन उस पैसे से इलाके का विकास नहीं होता। कई स्थानों पर कचरा जमा रहता है। सार्वजनिक शौचालयों में पानी नहीं है। बुजुर्गों के बैठने के लिए उचित व्यवस्था नहीं है।

स्थानीय नाविक प्रदीप मरांडी और नज़रुल अंसारी ने कहा कि हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं, फिर भी शौचालयों की साफ-सफाई और पानी की सुविधा की स्थिति बेहद खराब रहती है।

टूरिस्टों की उम्मीदें, प्रशासन से मांग

पर्यटकों की मांग सबसे सरल और मूलभूत है—साफ-सफाई, रोशनी, सुरक्षित बोटिंग और आरामदायक बैठने की व्यवस्था। अगर ये सुविधाएं नियमित रूप से उपलब्ध हों, तो मैथन को न सिर्फ पिकनिक स्पॉट, बल्कि एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में राष्ट्रीय पहचान मिल सकती है।

एक कोलकाता निवासी पर्यटक ने कहा कि मैथन की खूबसूरती अद्भुत है, लेकिन अगर प्रशासन थोड़ी और देखभाल करे तो यह जगह और भी शानदार बन सकती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / Santosh Vishwakarma