
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (हि.स.)। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने वंदे मारतरम् को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर हमला करने से पहले भाजपा को इतिहास पढ़ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम को नारा बनाने वाली कांग्रेस ही थी। कांग्रेस की परंपरा है कि वह अपने कार्यक्रमों की शुरुआत वंदे मातरम के साथ करे और भाजपा को भी ऐसा ही करके दिखाने की चुनौती दी।
राज्यसभा में वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान मंगलवार को खरगे ने कहा, कांग्रेस के नेता भारत माता की जय, महात्मा गांधी की जय, वंदे मातरम के नारे लगाए और जेल गए, लेकिन भाजपा नेताओं ने अंग्रेजों के लिए काम किया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह जवाहरलाल नेहरू और अन्य कांग्रेस नेताओं का अपमान करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। जब व्यावहारिकता को ध्यान में रखते हुए वंदे मातरम के केवल पहले दो पैराग्राफ गाने का निर्णय तत्कालीन कांग्रेस कार्यसमिति का सामूहिक निर्णय था, तो केवल जवाहरलाल नेहरू को ही क्यों निशाना बनाया गया?
भाजपा ने नेहरू पर हमला करके समिति के सभी नेताओं और रवींद्रनाथ टैगोर का भी अपमान किया है। भाजपा को राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों का अपमान करने के लिए देश से माफ़ी मांगनी चाहिए। खरगे ने कहा कि भाजपा को राष्ट्रीय गीत के प्रति नया प्रेम पैदा हुआ है। यह बहस बंगाल चुनाव को ध्यान में रखकर की जा रही है। उनका कहना है कि टैगोर को निशाना बनाकर आप असली मुद्दों से ध्यान नहीं भटका सकते। खरगे ने पूछा कि देश जानना चाहता है कि डॉलर के मुकाबले सिर्फ़ भारतीय रुपया ही क्यों गिर रहा है, हमारे पड़ोसी देशों से हमारे रिश्ते ठीक नहीं हैं। बीजिंग दक्षिण एशिया को लुभाने की कोशिश कर रहा है। पहली बार बांग्लादेश भारत से दूर जा रहा है और पाकिस्तान के करीब जा रहा है। इस पर हस्तक्षेप करते हुए सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा, हम किसी भी विषय पर चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन आज की बहस वंदे मातरम पर होनी चाहिए। हम अर्थव्यवस्था या अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर चर्चा कर सकते हैं, लेकिन अब हमें वंदे मातरम पर चर्चा करनी होगी।
खरगे ने हस्तक्षेप के बावजूद अपना भाषण जारी रखा। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुभाष चंद्र बोस को लेकर नेहरू जी की चिट्ठी का जिक्र किया। हमेशा की तरह उन्होंने सदन को गुमराह किया। मोदी जी के आरोप तथ्य से परे हैं और लोगों को भ्रमित करने वाले हैं। सच्चाई यह है कि 16 अक्टूबर 1937 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को पत्र लिखा और उनसे पूछा कि कांग्रेस को 'वंदे मातरम्' के प्रति क्या रुख अपनाना है? इसके अगले दिन नेताजी ने नेहरू जी को पत्र लिखा और सुझाव दिया कि नेहरू जी को इस विषय पर गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी से व्यक्तिगत रूप से मिलना चाहिए।डीएमके के तिरुचि शिवा ने कहा कि सरकार ने अन्य ज़रूरी मुद्दों को दरकिनार करते हुए वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा कराई, लेकिन सत्ता पक्ष अब खाली है और सदन के नेता, संसदीय कार्य मंत्री और अन्य नेता सदन में मौजूद नहीं थे।
उन्होंने कहा कि सरकार को केवल वंदे मातरम पर चर्चा ही नहीं करवानी चाहिए, बल्कि चर्चा में शामिल भी होना चाहिए।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी



