जालंधर बस्ती दानिश बंदा में मासूम सड़क किनारे रोती मिली:कुत्ते के डर से भागी और खो गई,30 मिनट बाद मां को मिली
- Admin Admin
- Dec 09, 2025
जालंधर के बस्ती दानिश बंदा इलाके में उस वक्त अफरातफरी मच गई जब सड़क किनारे एक नन्ही बच्ची रोती मिली। स्थानीय दुकानदारों और राहगीरों ने देखा तो उसे पूछा । बच्ची घबराहट में बुरी तरह कांप रही थी और बास रोई जा रही थी । नाम बताया ‘समायरा’ पर घर का पता बताने में असमर्थ लोगों ने तुरंत बच्ची को संभाला। उसका नाम और पता पूछा गया, तो वह केवल इतना ही बता पाई कि उसका नाम समायरा है। अपनी उम्र के हिसाब से वह न तो अपने पिता का नाम बता सकी और न ही उसे अपने घर की गली याद थी। समायरा ने पैरों में बूट और ठंड से बचने के लिए एक ग्रे रंग का गर्म सूट पहन रखा था। मानवीयता की मिसाल: स्थानीय लोगों ने तुरंत बच्ची को पानी दिया तो किसी ने उसका डर दूर करने की कोशिश की। इसके बाद तुरंत उसके परिवार को खोजने का प्रयास शुरू किया गया। ऐक्टिवा पर बिठाकर 2 KM तक तलाशा नहीं मिली कामयाबी स्थानीय लोगों ने बिना समय गंवाए बच्ची को एक ऐक्टिवा पर बिठाया और आसपास की हर गली नुक्कड़ और चौराहे पर लगभग 1-2 किलोमीटर तक घुमाया।हर घर को दिखाकर पूछा गया क्या यह आपका घर है लेकिन मासूम समायरा किसी भी ठिकाने को पहचान नहीं पाई। करीब आधा घंटा तक चली यह खोजबीन नाकाम रही और लोगों की चिंता बढ़ती जा रही थी। मां लवली ने दूर से ही पहचाना और दौड़ पड़ीजब लोग हार मानकर दोबारा इलाके की तरफ लौट रहे थे तभी एक गली के मोड़ पर चमत्कार हुआ ऐक्टिवा पर बैठी समायरा को दूर से ही उसकी मां लवली ने पहचान लिया। अपनी बेटी को सकुशल देखकर लवली की आंखों में आंसू आ गए और वह तेजी से दौड़ती हुई उसके पास पहुंची। मां लवली ने बताया पूरा घटनाक्रम आज घर पर कुछ रिश्तेदार आए हुए थे। समायरा और दूसरे बच्चे बाहर खेल रहे थे। खेलते-खेलते अचानक आवारा कुत्ते बच्चों के पीछे पड़ गए।लवली ने रुंधे गले से आगे बताया कुत्तों के डर से समायरा इतनी तेज़ी से भागी कि वह दूसरी गली में चली गई और रास्ता भटक गई। जब हमने देखा कि वह बाहर नहीं है, तो हमारे होश उड़ गए। हम 15-20 मिनट से उसे पागलों की तरह ढूंढ रहे थे। परिवार ने किया मददगारों का दिल से शुक्रिया समायरा के मिलते ही परिवार की जान में जान आई। परिवार ने उन सभी नेकदिल लोगों का हाथ जोड़कर दिल से धन्यवाद किया जिन्होंने समय पर बच्ची को संभाला उसे डर से निकाला और एक पल की भी देरी किए बिना उसे सुरक्षित घर पहुंचाने में मदद की। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि इंसानियत आज भी ज़िंदा है।



