ठाणे मनोचिकित्सालय से विस्थापित पेड़ मरणासन्न हाल में,डॉ प्रशांत

मुंबई,9 दिसंबर ( हि.स.) ठाणे रीजनल साइकेट्रिक हॉस्पिटल( क्षेत्रीय मनोचिकित्सालय )एरिया में सैकड़ों पेड़ों को काटने के प्रपोज़्ड प्रोजेक्ट पर शहर में गहरी चिंता है। हालांकि यह एक ज़रूरी प्रोजेक्ट है, लेकिन एनवायरनमेंटलिस्ट गुस्से में हैं क्योंकि ज़िंदा पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाई जाएगी। इसी तरह, एनवायरनमेंटलिस्ट डॉ. प्रशांत सिनकर ने सीधे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक इमोशनल बयान भेजकर खतरे की चेतावनी दी है। “दूसरी जगह लगाए गए पेड़ ज़्यादा दिन ज़िंदा नहीं रहते… यह एक कड़वा सच है जो अनुभव से साबित हुआ है।”

ठाणे साइकेट्रिक हॉस्पिटल एरिया में पहले भी कुछ पेड़ों को दूसरी जगह लगाया गया था। हालांकि, कई पेड़ कुछ ही महीनों में मुरझाते और मरते देखे गए। जब पेड़ जड़ से उखाड़े जाते हैं, तो उनकी बारीक जड़ें टूट जाती हैं, मिट्टी और एनवायरनमेंट अचानक बदल जाता है, और उनके ज़िंदा रहने की क्षमता कम हो जाती है। डॉ. सिनकर ने इस बात को साफ़ तौर पर हाईलाइट किया।

साइकेट्रिक हॉस्पिटल की जगह को ठाणे का “ग्रीन लंग्स” माना जाता है। सैकड़ों साल तक खड़े रहने वाले ये पेड़ शहर का टेम्परेचर कंट्रोल करने, पॉल्यूशन सोखने, नमी बनाए रखने और पक्षियों के लिए सुरक्षित घर देने के लिए ज़रूरी हैं। अगर ऐसे बड़े पेड़ काट दिए जाते हैं, तो इलाके का इकोलॉजिकल बैलेंस बिगड़ने का गंभीर खतरा है।

नागरिक, पर्यावरणविद और लोकल संगठन पेड़ों की कटाई रोकने के लिए एक साथ आ रहे हैं। सैकड़ों पेड़ों का भविष्य अब राज्य सरकार के अगले फैसले पर निर्भर करता है। ठाणेकरों की बस एक ही मांग है“पेड़ बचाओ, ठाणे बचाओ!”

कोंकण के पर्यावरणविद डॉ प्रशांत रवीन्द्र सिनकर का कथन है कि विकार के नाम पर ज़िंदा पेड़ों की बलि देना सही नहीं है। ठाणे की हरियाली शहर की सांस है। “पेड़ कागज़ पर चले जाते हैं… असल में वे मर जाते हैं। यह एक कड़वा अनुभव है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रवीन्द्र शर्मा