सर्दियों की पौष्टिक परंपराओं का सामूहिक उत्सव, 11 दिसंबर को होगा लड्डू बाज़ार
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- Dec 09, 2025
कानपुर, 09 दिसंबर (हि.स.)। इस बार सर्दियों की वही देसी खुशबू, जो हर कानपुरिया घर में जाड़ा लगते ही रसोई से आँगन तक फैलती है, 11 दिसंबर को चन्द्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के ग्राउंड पर एक साथ महसूस की जाएगी। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह की पहल पर आयोजित होने वाला ‘लोक परंपरा लड्डू बाज़ार’ प्रातः 10 बजे से शुरू होगा।
तिल–गुड़ की सोंधी सुगंध, सौंठ-पंजीरी की गर्माहट, गोंद-मेवा की करारी मिठास और बाजरा–रागी जैसे मिलेट से बने ऊर्जा-वर्धक लड्डुओं की झांकियाँ इस आयोजन को विशिष्ट स्वर देंगी। सर्दियों की पौष्टिक परंपराओं का सामूहिक उत्सव थीम पर आधारित यह लड्डू बाज़ार उन घरेलू व्यंजनों को फिर से केंद्र में लाने का प्रयास है, जो पीढ़ियों से कानपुर के जाड़े की पहचान रहे हैं।
तिल–गुड़ के लड्डू, जो शरीर को गरम रखते हैं; गोंद के लड्डू, जिनका कुरकुरापन ताकत बढ़ाता है; और बाजरे–रागी के लड्डू, जो अपनी मिट्टी-सी महक से हर उम्र के लोगों को भाते हैं—इन सभी का स्वाद एक ही मंच पर उपलब्ध होगा। इन लड्डुओं की खासियत यह है कि वे स्वाद के साथ-साथ सेहत के पारंपरिक आधार भी हैं, और इसी विरासत को सहेजने का संदेश यह आयोजन देने जा रहा है।
लड्डू बाज़ार में स्वयं-सहायता समूह, स्थानीय महिलाएं और पारंपरिक घरेलू भोजन से जुड़े लोग अपने घरों में बनने वाले विभिन्न प्रकार के लड्डू प्रस्तुत करेंगे। झांकियां, स्वाद-विनिमय और सामग्री व विधियों पर संवाद कार्यक्रम को सहभागी और जीवंत बनायेंगे।
डीएम ने कहा कि जाड़े के ये देसी लड्डू हमारी सांस्कृतिक पहचान और पोषण परंपरा का हिस्सा हैं। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि अधिक से अधिक लोग लड्डू बाज़ार में शामिल होकर इस विरासत को आगे बढ़ाने में सहभागिता करें।
सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा संजय सिंह ने कहा कि यह सिर्फ मिठास का उत्सव नहीं, बल्कि उन शीतकालीन परंपराओं का सम्मान है, जो आज भी घरों की रसोई में सेहत की विश्वसनीय धरोहर बनी हुई हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप



