असम सरकार ने तोड़े नियम, जनता के पैसों का हुआ दुरुपयोग : कांग्रेस

गुवाहाटी, 09 दिसंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री लगातार “झूठ और वित्तीय हेरफेर” का सहारा लेकर आम जनता और केंद्र सरकार - दोनों को गुमराह करते रहे हैं। यह आराेप असम प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा के पूर्व सांसद रिपुन बोरा ने मंगलवार काे राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा पर बड़ा आरोप लगाया। उन्हाेंने कहा कि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की ताजा रिपोर्ट ने राज्य सरकार के “व्यापक अनियमितताओं, नियम-उल्लंघन और वित्तीय कुप्रबंधन” को उजागर कर दिया है।

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सीएजी ने 2023–24 के राज्य वित्तीय लेखा-जोखा की जांच में पाया कि सरकार ने “उपभोग के लिए नहीं, निवेश के लिए ही ऋण” वाले सिद्धांत का उल्लंघन किया है। उनके अनुसार, उत्पादक कार्यों के लिए लिए गए ऋणों को लाभार्थी योजनाओं और उपभोग-आधारित खर्चों में लगा दिया गया, जो सार्वजनिक ऋण के निर्धारित मानकों के खिलाफ है।

उन्होंने बताया कि 2023–24 के लिए राज्य का बजट अनुमान 1,69,966 करोड़ रुपये था, जबकि वास्तविक खर्च केवल 1,39,449 करोड़ रुपये रहा। इसके बावजूद सरकार ने 30,516 करोड़ रुपये की बचत दिखायी, जबकि कुल राजस्व संग्रह मात्र 1,38,830 करोड़ रुपये था-जिसका अंतर सीएजी ने गंभीर विसंगति बताया है। बोरा ने कहा कि वित्त, शिक्षा और सामाजिक कल्याण सहित 50 विभागों ने लगभग 18,669 करोड़ रुपये के उपयोग प्रमाणपत्र जमा नहीं किए, जिससे सार्वजनिक धन के उपयोग पर गंभीर सवाल उठते हैं।

कांग्रेस नेता ने राज्य के बढ़ते ऋण को भी चिंताजनक बताते हुए कहा कि सीएजी के अनुसार 31 मार्च, 2026 तक असम का कुल ऋण लगभग 1,74,000 करोड़ तक पहुंच सकता है, जिसका अधिकांश हिस्सा अगले दस वर्षों में ब्याज सहित चुकाना होगा। 2019–20 की तुलना में 2023–24 में राज्य का ऋण 103 प्रतिशत बढ़कर 1,46,927 करोड़ हो गया है। ब्याज भुगतान भी 2016–17 के 2,963 करोड़ से बढ़कर 2023–24 में 9,467 करोड़ रुपये हो गया है।

बोरा ने यह भी कहा कि 2023–24 में सरकार ने 30,210 करोड़ का अनुपूरक बजट मांगा, जबकि आवश्यकता केवल 74 प्रतिशत ही थी। 2021 से 2024 के बीच लिए गए ऋण का 65 प्रतिशत हिस्सा विभिन्न लाभार्थी योजनाओं और अनुदानों में खर्च किया गया, जो वित्तीय सिद्धांतों का उल्लंघन है। 75 स्वायत्त परिषदों, 39 राज्य उपक्रमों और कई विकास निकायों के ऑडिट भी अब तक लंबित हैं। क्षेत्रवार व्यय बताते हुए कहा कि सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में 17.70 प्रतिशत और स्वास्थ्य क्षेत्र में 5.21 प्रतिशत की कटौती की है, जबकि ऋण भुगतान के नाम पर 2,172 करोड़ बजट के बाहर से खर्च किए गए।

इस स्थिति को असम के भविष्य के लिए “चेतावनी” बताते हुए रिपुन बोरा ने राज्य सरकार से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की अपील की। उन्होंने जनता से भी वित्तीय प्रबंधन के प्रति सजग रहने का आग्रह किया।

संवाददाता सम्मेलन में एपीसीसी मीडिया विभाग के अध्यक्ष बेदब्रत बोरा, वरिष्ठ प्रवक्ता ऋतुपर्ण कोंवर, प्रवक्ता अरूपज्योति भुइयां और रीतम सिंह भी मौजूद रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश