बाल यौन शोषण के मामले में आराेपित की न्यायिक हिरासत रिमांड निरस्त

नोएडा, 9 दिसंबर (हि.स.)। जिला अदालत ने सीबीआई द्वारा कोर्ट में पेश किए गए बाल यौन शोषण के एक मामले के आरोपित की न्यायिक हिरासत रिमांड को निरस्त कर दिया। न्यायाधीश विजय कुमार हिमांशु ने निर्णय में कहा कि मामले में ठोस सबूतों की कमी है। आरोपित आनंद प्रकाश ने अब तक जांच में पूरा सहयोग किया है। ऐसे में आरोपित को रिहा किया जाता है। यह मामला एक अनाम शिकायत से शुरू हुआ।

गृह मंत्रालय द्वारा संचालित साइबर टिप लाइन की 14-सी रिपोर्ट के आधार पर इसकी जांच दिल्ली के सीबीआई टीम को मिली थी। रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई ने 31 अक्तूबर 2025 को ग्रेटर नोएडा के एसकेए ग्रीन आर्क सोसाइटी निवासी आनंद प्रकाश के खिलाफ आईटी ऐक्ट की धारा 67बी और पॉक्सो एक्ट की धारा 15 में दिल्ली में प्राथमिकी दर्ज की।

जांच के दौरान बाद में आईपीसी की कई अन्य धाराएं भी जोड़ी गईं। इसके बाद आरोपी को बीएनएसएस की धारा 35(3) के तहत नोटिस जारी किया गया था। नोटिस के बाद वह 7, 18, 10 और 28 नवंबर और पांच दिसंबर को जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित हुआ, जिसे अदालत ने उसके सहयोग का महत्वपूर्ण आधार माना। अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि जांच के दौरान यौन उत्पीड़न से संबंधित कुछ तस्वीरें पीड़िता को दिखाई गईं। अभियोजन पक्ष के अनुसार पीड़िता ने आरोपी की पहचान करते हुए कहा कि घटना लगभग दो वर्ष पुरानी है। उसका बयान बीएनएसएस की धारा 183 के तहत दर्ज किया गया और अभियोजन पक्ष ने इसे आरोपी की संलिप्तता का आधार बताया।

आरोपी के अधिवक्ता रजनीश यादव ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि पीड़िता द्वारा आरोपी की पहचान का कोई स्वतंत्र एवं प्रमाणिक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। बचाव पक्ष ने कहा कि तस्वीरों के सहारे कराई गई टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड संदिग्ध एवं रहस्यपूर्ण है, क्योंकि तस्वीरें धुंधली और मॉर्फ्ड प्रतीत होती हैं। इसके अलावा बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि आईटी एक्ट की धारा 67बी और पॉक्सो एक्ट की धारा 15 के तहत लगाए गए आरोप आरोपी के मोबाइल फोन से सिद्ध नहीं होते। सीबीआई द्वारा जब्त मोबाइल की प्रामाणिकता और उससे निकाली गई सामग्री की पुष्टि करने वाली एफएसएल रिपोर्ट अब तक उपलब्ध नहीं है। अदालत ने आरोपी को इस शर्त पर रिहा किया कि वह जांच में सहयोग करता रहेगा। साथ ही, यह भी स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में कोई ठोस और महत्वपूर्ण सबूत सामने आता है, तो जांच अधिकारी पुनः कस्टडी रिमांड की मांग कर सकता है।

सीबीआई की स्पेशल क्राइम यूनिट ने ग्रेनो में रहने वाले एक व्यक्ति के खिलाफ बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम) के संग्रह, प्रसारण और अपलोड करने के आरोप में मामला दर्ज किया था। सीबीआई को सूचना मिली थी कि दो संदिग्ध ई-मेल आईडी और दो मोबाइल नंबर का उपयोगकर्ता बाल यौन शोषण सामग्री के संग्रह, प्रसारण, आदान-प्रदान और अपलोड में लिप्त है। यह सामग्री बच्चों को यौन रूप से अश्लील तरीके से दर्शाने वाली तस्वीरों और वीडियो के रूप में थी। इन मोबाइल नंबरों का उपयोग आरोपी आनंद प्रकाश द्वारा किया जा रहा था। इसके बाद सीबीआई ने नोटिस जारी कर आरोपी को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। उसे आज कोर्ट में रिमांड के लिए पेश किया गया था।

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हिन्दुस्थान/सुरेश

हिन्दुस्थान समाचार / सुरेश चौधरी