सोनीपत के पबनेरा में दस साल में बदल गई लोगों की जीवन शैली

22 Snp-, A, B, C, D सोनीपत: पबनेरा की स्वीटी परिवार के साथ, सुमन लता माता पिता के साथ,गांव की गलियों में, गांव का सरकारी स्कूल, सरपंच पुनम, टीचर लगी संतोष कुमारी, 85 वर्षीय मुख्तार सिंह जानकारी देते हुए।22 Snp-, A, B, C, D सोनीपत: पबनेरा की स्वीटी परिवार के साथ, सुमन लता माता पिता के साथ,गांव की गलियों में, गांव का सरकारी स्कूल, सरपंच पुनम, टीचर लगी संतोष कुमारी, 85 वर्षीय मुख्तार सिंह जानकारी देते हुए।22 Snp-, A, B, C, D सोनीपत: पबनेरा की स्वीटी परिवार के साथ, सुमन लता माता पिता के साथ,गांव की गलियों में, गांव का सरकारी स्कूल, सरपंच पुनम, टीचर लगी संतोष कुमारी, 85 वर्षीय मुख्तार सिंह जानकारी देते हुए।22 Snp-, A, B, C, D सोनीपत: पबनेरा की स्वीटी परिवार के साथ, सुमन लता माता पिता के साथ,गांव की गलियों में, गांव का सरकारी स्कूल, सरपंच पुनम, टीचर लगी संतोष कुमारी, 85 वर्षीय मुख्तार सिंह जानकारी देते हुए।

पबनेरा में जहां आजादी के बाद पहली बार नौकरी गत 10 साल में मिली

पबनेरा से पहले आईपीएस बने हैं कुलदीप सिंह

स्वीटी और सुमनलता बेटियों को परिवार में पहली सरकारी नौकरी मिलने का श्रेय मिला

पांच साल में केवल एक गली और एक चौपाल का कमरा बना

सोनीपत, 22 अप्रैल (हि.स.)। हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित ग्राम पंचायत पबनेरा है। यहां ज्यादातर लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। यहां पर रोजी रोटी के लिए दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर हैं। यह एससी बीसी बाहुल्य गांव है। पबनेरा की 100 एकड़ भूमि कट कर यमुना में चली गई लेकिन कोई मुआवजा नहीं मिला, लेकिन यहां के लोगों की जिंदगी में गत दस वर्षों में लाइफ स्टाइल बदला है। इस गांव में जहां 2013 से पहले मात्र चार लोगों को सरकारी नौकरी मिली थी। वहीं 2014 के बाद सरकारी नौकरी पाने वालों की संख्या 20 हो गई है।

सोनीपत की तहसील गन्नौर के अंतर्गत आने वाले गांव पबनेरा में लगभग 2000 मतदाता हैं।इस गांव में पीएचसी और ई-लाइब्रेरी की मांग पूरी नहीं हुई। इस गांव रकबे में ऐसी शामलात पंचायती जमीन नहीं जिससे राजस्व आए। पांच साल में केवल एक गली पक्की बनी, प्रजापत चौपाल में एक कमरा बनवाया गया। पांच वर्ष के दौरान डी प्लान आदि सब के मिला कर 30 लाख रुपये पंचायत को विकास के लिए मिले हैं।

पबनेरा के लोगों में गुस्सा है कि जनप्रतिनिधियों ने उनके वोट का सम्मान नहीं किया। लोगों का कहना था कि विधान सभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा को पबनेरा के मतदाताओं ने 85 प्रतिशत वोट दिए थे। वयोवृद्ध 85 वर्षीय मुखतार सिंह का कहना है कि जनप्रतिनिधियों ने वोट तो ले लिए लेकिन यहां वापस मुड़कर भी नहीं देखा। न ही उनकी मांगों को पूरा करने के लिए दिलचस्पी दिखाई।

पबनेरा की सरपंच पूनम का कहना है कि उनकी मांग ई-लाइब्रेरी की इसलिए की गई थी कि यहां की बहु बेटियां पढाई कर सकें ताकि अपना कैरियर संवार पाएं। लाइब्रेरी होने से कंपटीशन टेस्ट की तैयारी करती हैं तो उन्हें गन्नौर, सोनीपत शहर में जाना पड़ता है। शहर यहां पर से काफी दूर पड़ता है। एक दिन का खर्च 100 रुपये हो जाता है गरीब आदमी यह खर्च करने में सक्षम नहीं है। देखो जी विकास की बात करें तो एक गली और एक कमरा बना है यह 5 साल का यह विकास है। इसी को उपलब्धि कह सकते हैं।

युवा तलविंद्र सिंह का कहना है कि दस साल में बहुत बड़ा सकारात्मक पहलू यह रहा है कि इस सरकार के दौरान सरकारी नौकरी बिना पर्ची, बिना खर्ची के मिली हैं। जो योग्य उम्मीदवार थे उनको योग्यता के आधार पर नौकरियां मिल गई और इससे लाइफ स्टाइल बदला है। दूसरे युवा ओं में इससे उत्साह वर्धन हुआ है। इस गांव के युवाओं को नौकरियां मिलना बहुत बड़ी उपलब्धि है।

इस बात को तो मानेंगे कि टैलेंट गांव में भी है अब जिनको नौकरी मिली उनमें रोहतास पुत्र महावीर, प्रियंका पुत्री राजबीर, नीरज कुमार पुत्र किरण सिंह, यह प्रोविजनल सब इंस्पेक्टर लगे, सोनू पुत्र छत्रपाल लिपिक लगे हैं। पिंटू पुत्र दयानंद अध्यापक लगे हैं, संतोष कुमारी पत्नी तलविंदर की केंद्रीय विद्यालय में नौकरी लगी है। प्रवीण पुत्र करतार सिंह, कुलदीप पुत्र कर्मवीर, दीपक पुत्र रिजकराम हरियाणा पुलिस में नौकरी लगी है।

तीन पीढियों में परिवार में पहली बार सरकारी नौकरी पाने वाली बनी बेटियां

पबनेरा की दो ऐसी बेटियां जिनके परिवार में आजादी से लेकर तीन पीढियों में अभी तक कोई सरकारी नहीं थी,लेकिन इन बेटियों को पहली बार सरकारी नौकरी में जाने का श्रेय मिला है। बाबुराम की बेटी सुमनलता, राजसिंह की बेटी स्वीटी को हरियाणा पुलिस में नौकरी मिल है। रीना पुत्री जगन, एकता पुत्री रविंद्र कुमार की दिल्ली पुलिस में नौकरी लगी हैं। आशीष पुत्र सोहन पाल इनके पिता सोहनपाल शहीद हुए तो उनके बेटे को सीआरपीएफ की नौकरी मिली। इसी गांव में कुलदीप सिंह को पहले आईपीएस बनने का गौरव मिला है।

हिन्दुस्थान समाचार/ नरेंद्र/

   

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