शिशु के सर्वांगीण विकास के लिए छह माह तक ‘केवल स्तनपान’ ही उत्तम विकल्प

वाराणसी में गुरुवार से मनाया जाएगा ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’, थीम- ‘क्लोसिंग द गैप : ब्रेस्टफीडिंग सपोर्ट फॉर आल’

वाराणसी, 31 जुलाई (हि.स.)। हंसते खिलखिलाते मासूम बच्चे बरबस ही सबका मन मोह लेते हैं। बच्चों का हंसना और खिलखिलाना बहुत हद तक उनके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। यदि छह माह तक बच्चे को केवल स्तनपान और उसके बाद दो साल तक स्तनपान के साथ पूरक पोषाहार दिया जाए तो बच्चा सुपोषित होगा और हंसी लम्बे समय तक उसके चेहरे पर रहेगी। स्तनपान शिशुओं के उचित मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए स्तनपान महत्वपूर्ण है, इतना ही नहीं स्तनपान माँ को भी प्रसव उपरांत होने वाली कई तरह की परेशानियों से बचाता है। इसी उद्देश्य से जनपद में एक अगस्त गुरुवार से ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ शुरू होने जा रहा है। यह अभियान सात अगस्त तक चलाया जाएगा। इस बार की थीम ‘क्लोसिंग द गैप : ब्रेस्टफीडिंग सपोर्ट फॉर आल’ रखी गई है। यह जानकारी बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने दी।

डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि जन्म के पहले घंटे के अंदर मां का पहला गाढ़ा पीला दूध (कोलोस्ट्रम) पिलाने और छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराने से शिशु का सर्वांगीण विकास होता है और शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर रहती है। मां के पास जितना नवजात रहेगा, उसमें उतनी भावनात्मक वृद्धि होती है और सुरक्षा का भी आभास रहता है। मां का दूध पीने से शिशु कुपोषण का शिकार नहीं होते हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (2019-21) के अनुसार जिले में छह माह से कम उम्र के 47.5 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिनको सिर्फ मां का दूध पीने को मिला है। वहीं यह दर एनएफएचएस 4 (2015-16) में सिर्फ 23.7 प्रतिशत थी। जागरूकता की वजह से जनपद में स्तनपान को बढ़ावा मिला है।

नोडल अधिकारी एवं डिप्टी सीएमओ डॉ एचसी मौर्य ने समस्त फ्रंट लाइन वर्कर से कहा है कि केवल स्तनपान का मतलब है- छह महीने तक केवल मां का दूध, इसके अलावा और कुछ भी नहीं... कुछ भी नहीं मतलब कुछ भी नहीं, पानी की एक बूंद भी नहीं। जन्म के एक घंटे के अन्दर स्तनपान शुरू कराने और छह महीने तक केवल स्तनपान कराने से न केवल शिशु की पोषण सम्बन्धी सभी जरूरतें पूरी होती हैं, बल्कि मां का दूध बच्चे को संक्रमण से लड़ने की ताकत देता है।

इन बातों का रखें विशेष ध्यानः

मां का दूध खासकर शुरुआती गहरा पीला गाढ़ा दूध शिशु को अनेक बीमारियों से बचाता है और उसे रोग-प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। छह माह तक शिशुओं को सिर्फ स्तनपान कराने से एलर्जी, एग्जिमा और दमा आदि की समस्या का सामना कम करना पड़ता है। मां के दूध से शिशु को मानसिक विकास के लिए भी अनेक पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है। स्तनपान से बच्चों का आईक्यू स्तर भी ठीक बना रहता है।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी / आकाश कुमार राय

   

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