भाजपा ने वाजपेयी के दृष्टिकोण को अपनाया होता तो जम्मू-कश्मीर में यह स्थिति नहीं होती : मुख्यमंत्री
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- Nov 05, 2024
श्रीनगर, 05 नवंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि अगर केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दृष्टिकोण को अपनाया होता तो जम्मू-कश्मीर में मौजूदा स्थिति नहीं होती। उन्होंने कहा कि उनके जाने के बाद उनके दृष्टिकोण को भुला दिया गया। इसमें हम क्या कर सकते हैं?
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में श्रद्धांजलि सभा के दौरान अब्दुल्ला ने पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा जम्मू-कश्मीर में स्थिति सुधारने की कोशिश की। जब वाजपेयी 1999 में पहली दिल्ली-लाहौर बस से पाकिस्तान गए थे तो उन्होंने मीनार-ए-पाकिस्तान का दौरा किया था, जो आसान नहीं था। सदन के नेता अब्दुल्ला ने कहा कि वह सीमा पर खड़े होकर कहते थे कि हम दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं। वाजपेयी ने असफलताओं का सामना करने के बावजूद पाकिस्तान से बार-बार दोस्ती का हाथ बढ़ाया। मैं उन्हें (वाजपेयी) जानता हूं और उनकी परिषद में मंत्री के रूप में उनके साथ काम किया है।
अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने नियंत्रण रेखा के पार के मार्गों को खोलने का काम किया, जिन्हें बाद में फिर से बंद कर दिया गया। वह लोगों को एक दूसरे के करीब लाना चाहते थे। उन्होंने नागरिक समाज को एक दूसरे के करीब लाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि आज हमें अलग रखने की कोशिश की जा रही है। कुलगाम के विधायक एमवाई तारिगामी की 2000 में तत्कालीन एनसी सरकार द्वारा विधानसभा में लाए गए स्वायत्तता प्रस्ताव के बारे में टिप्पणी का जिक्र करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि यह सच है कि प्रस्ताव वापस भेज दिया गया था, लेकिन वाजपेयी को बाद में एहसास हुआ कि सरकार ने जल्दबाजी में प्रतिक्रिया दी थी।
सदन के नेता ने कहा कि श्रद्धांजलि देने वालों की सूची बहुत बड़ी है, जो दर्शाती है कि हमारे दो सत्रों के बीच कितना अंतराल था। उन्होंने कहा कि ऐसा आखिरी सत्र 2018 में आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा कि सूची में 57 हस्तियां पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व राज्यपाल, पूर्व विधायक और पूर्व एमएलसी शामिल हैं। यह शायद आखिरी बार होगा जब हम लद्दाख के लोगों को श्रद्धांजलि देंगे क्योंकि वे अब हमारा हिस्सा नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रद्धांजलि सूची में शामिल सभी 56 लोगों ने लोगों की सेवा में बहुत कुछ किया है और हमें उनकी जीवनी पढ़नी चाहिए, ताकि हम उनसे सीख सकें। उनके भाषण के बाद सदन ने दिवंगत आत्माओं के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा।
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हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह