”बालिकाओं द्वारा असुरक्षित स्थानों के चिन्हीकरण“ विषय पर कार्यशाला आयोजित

हल्द्वानी, 19 सितंबर (हि.स.)। जिलाधिकारी के निर्देशानुसार संवेदीकरण कार्यशाला में गुरुवार को डीएवी सेंटनरी स्कूल में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के अंतर्गत “बालिकाओं द्वारा असुरक्षित स्थानों के चिह्नीकरण“ विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में जनपद के विभिन्न विभाग पुलिस, स्वास्थ, शिक्षा और परिवीक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा बालिकाओं से उनकी समस्याओं के बारे में चर्चा की गई।

अपर निदेशक, प्रशिक्षण ऋचा सिंह ने बालिकाओं से वार्ता करते हुए ऐसे स्थानों के बारे में पूछा जहां पर वह असुरक्षित महसूस करती हैं, साथ ही बताया कि पिछली कार्यशालाओं में चिह्नित स्थानों पर समस्त संबंधित विभागों द्वारा कार्यवाही भी की जा रही है।

बाल विकास परियोजना अधिकारी शिल्पा जोशी ने बालिकाओं को बिना डरे असुरक्षित स्थानों को चिह्नित करने के लिए कहा और बताया कि हल्द्वानी में इन कार्यशालाओं का असर देखने को मिल रहा है। बालिकाओं द्वारा हल्द्वानी में विभिन्न स्थानों को चिह्नित किया गया जैसे रिलायंस मॉल कमलुआगांजा के पीछे आम का बगीचा, मेन मार्केट हल्द्वानी, डहरिया में इकोटाउज और पलैजियो के आसपास, हिम्मतपुर मल्ला, हरीनगर, दयाल विहार, कुसुमखेड़ा, त्रिमूर्ति चैराहे के आसपास गलियों में, आर के टेंट हाउस रोड, जगदम्बा नगर पार्क आदि।

बालिकाओं ने बताया कि आम के बगीचे, रिलायंस मॉल के पीछे, कमलुआगांजा पर हर दिन ड्रग्स और शराब के नशे में लड़के झुंड बनाकर बैठे रहते हैं और आते जाते लड़कियों से छेड़खानी करते हैं, यह बेहद संवेदनशील जगह है, जहां पर अप्रिय घटना होने की संभावना है। कुछ चिह्नित स्थानों में ड्रग्स और शराब का कारोबार भी चलता है, सुनसान रास्ते में लड़के पीछा करते हैं, ऑटो वाले जानबूझकर सुनसान रास्ते से ले जाते हैं, अंधेरे का फायदा उठाकर लड़के बाइक से आकर गलत तरीके से छूते हैं और भद्दे कमेंट्स करते हैं।

कार्यशाला मे बालिकाओं ने चिह्नित जगह पर लगातार पुलिस पेट्रोलिंग, गलियों में स्ट्रीट लाइट, ऑटो चालक और ई-रिक्शा चालक का सत्यापन, ऑटो या रिक्शा स्टैंड पर एवं अन्य चिह्नित स्थानों पर गश्त करने सुझाव दिए।

डीएवी स्कूल के प्राध्यापक ने बताया कि स्कूल के बाहर छुट्टी के समय अक्सर लड़के काले शीशे की बिना नंबर प्लेट की गाड़ियों में खड़े रहते हैं, कई बार मना करने पर भी नहीं सुनते, जिससे बालिकाओं को असुविधा होती है।

हिन्दुस्थान समाचार / अनुपम गुप्ता

   

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