आदिबल कुलगाम में आज भी चल रही है 180 साल पुरानी पनचक्की

कुलगाम, 4 अगस्त (हि.स.)। आदिबल कुलगाम में लगभग 180 साल पुरानी प्राचीन पनचक्की जिसे घराट भी कहा जाता है पारंपरिक शिल्पकला का प्रमाण है। यह घराट पुराने समय में जब बिजली नहीं होती थी तो पानी की एक विशेष धार से चलाये जाते थे जो कि मुख्य रूप से आटा बनाने का काम करते थे।

घराट के मालिक गुलाम अहमद मीर ने बताया कि लगभग 20 साल पहले पनचक्की में खूब चहल-पहल थी। हालांकि, समय के साथ काम में काफी कमी आई है। गुलाम बताते है कि पारंपरिक पनचक्कियों के इस्तेमाल में कमी रेडीमेड उत्पादों की लोकप्रियता के कारण है, जिसके बारे में उनका मानना है कि यह बच्चों में कई बीमारियों का कारण बनता है। हालांकि मौजूदा समय में उनका बेटा पनचक्की का प्रबंधन करता है लेकिन 1990 के दशक के बाद से ऐसे घराट दुर्लभ हो गए हैं। कभी हर गांव में आम विशेषता रही पनचक्कियाँ अब गुमनामी में खोती जा रही हैं। यह गिरावट एक व्यापक प्रवृत्ति का प्रतीक है। मिट्टी के चूल्हे और पनचक्कियों जैसी पारंपरिक वस्तुओं को त्याग दिया जा रहा है। युवा पीढ़ी इन विरासत में बहुत कम रुचि दिखाती है, जिससे हमारे समाज से मूल्यवान सांस्कृतिक परंपराएँ धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / Ashwani Gupta / बलवान सिंह

   

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