चाैबीस कुंडीय गायत्री महायज्ञ शुरू: महामारियों से बचने का यज्ञ एक सामूहिक उपाय है यज्ञ

24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ शुरू:महामारियों से बचने का यज्ञ एक सामूहिक उपाय है यज्ञ

जयपुर, 17 अप्रैल (हि.स.)। आगरा रोड स्थित ग्रीन पार्क पंचमुखी महादेव मंदिर में गुरुवार को 24 कुंडीय शक्ति संवद्र्धन गायत्री महायज्ञ का शुभारंभ हुआ। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने श्रद्धाभाव से दिव्य वातावरण में विश्व कल्याण की कामना के साथ यज्ञ देवता को गायत्री, महामृत्युंजय महामंत्र सहित अनेक मंत्रों से आहुतियां प्रदान की। प्रज्ञागीतों के साथ देव मंच पर भारतीय संस्कृति की मां गायत्री, गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, भगवती देवी शर्मा के पूजन के साथ पहले दिन के यज्ञ का क्रम शुरू हुआ।

विश्व शांति और राष्ट्र जागरण के लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में हुए शक्ति संवद्धर्न महायज्ञ को संपन्न करवाते हुए शांतिकुंज हरिद्वार से आए टोली नायक प्रभाकांत तिवारी ने यज्ञ के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व से परिचित करवाते हुए कहा कि यज्ञ को सर्वश्रेष्ठ कर्म कहा गया है। क्योंकि यज्ञ का लाभ सभी को मिलता है। यज्ञ से वातावरण का शुद्धिकरण होता है। यज्ञ धूम्र आकाश में जाकर बादलों में मिलता है। उससे वर्षा का अभाव दूर होता है। ऐसी वर्षा से अन्न, घास, वनस्पतियां, जीव-जंतु सभी बलवान, परिपुष्ट एवं शक्ति सम्पन्न बनते हैं। यज्ञ के द्वारा जो शक्तिशाली तत्व वायु मंडल में फैलाए जाते हैं उनसे हवा में घूमते हुए असंख्य रोग-कीटाणु सहज ही नष्ट हो जाते हैं। डीडीटी, फिनायल आदि छिडक़ने, बीमारियों से बचाव करने की दवाएं या सुइयां लेने से भी कहीं अधिक कारगर उपाय यज्ञ करना है। साधारण रोगों एवं महामारियों से बचने का यज्ञ एक सामूहिक उपाय है। दवाओं में सीमित स्थान एवं सीमित व्यक्तियों को ही बीमारियों से बचाने की शक्ति है, पर यज्ञ की वायु तो सर्वत्र ही पहुंचती है और प्रयत्न न करने वाले प्राणियों की भी सुरक्षा करती है। मनुष्यों की ही नहीं, पशु पक्षियों, कीटाणुओं एवं वृक्ष वनस्पतियों के आरोग्य की भी यज्ञ से रक्षा होती है।

प्रारंभ में गुरू ईश वंदना, साधनादिपवित्रीकरण, मंगलाचरण, षट्कर्म, पृथ्वी पूजन, संकल्प, चंदन धारण के बाद कलाई पर रक्षा सूत्र बंधवाया गया। इसके बाद अखिल ब्रह्मांड के प्रतीक कलश का पूजन किया गया।

कार्यक्रम संयोजक अनिल खंडेलवाल ने बताया कि शुक्रवार, 18 अप्रैल को सुबह आठ बजे से गायत्री महायज्ञ और विभिन्न संस्कार कराए जाएंगे। दोपहर दो से शाम पांच बजे तक संगीतमय प्रवचन होंगे। शाम सात से रात्रि नौ बजे तक राष्ट्र जागरण दीप महायज्ञ होगा। शनिवार, 19 अप्रेल को सुबह आठ बजे से गायत्री महायज्ञ एवं विभिन्न संस्कार होंगे। गुरु दीक्षा संस्कार विशेष रूप से कराया जाएगा। नशा मुक्ति संकल्प के साथ महायज्ञ की पूर्णाहुति होगी। दोपहर एक बजे शांतिकुंज से आई टोली की विदाई होगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

   

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