अभाविप, सील ट्रस्ट के 240 छात्रों का देशभर में भव्य स्वागत

एबीवीपी तथा सील ट्रस्ट के 240 छात्रों का देशभर में हो रहे भव्य स्वागत की तस्वीर।

- राष्ट्रीय एकात्मता यात्रा पर देशभर के राज्यों की यात्रा पर निकले हैं पूर्वोत्तर के छात्र

गुवाहाटी, 25 जनवरी (हि.स.)। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के अंतर-राज्य छात्र जीवन दर्शन (सील) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय एकात्मता यात्रा-2025 के अन्तर्गत पूर्वोत्तर के 240 छात्र-छात्राएं 20 दिनों की भारत की यात्रा पर निकले हैं। सम्पूर्ण भारत में विभिन्न स्थानों पर स्थानीय छात्रों और नागरिकों द्वारा पारंपरिक और भव्य रूप से स्वागत हो रहा है। हजारों की संख्या में रेलवे स्टेशन पर छात्र छात्रा ढोल नगाड़े, पुष्प वर्षा के साथ पूर्वोत्तर के छात्रों का स्वागत कर रहे हैं।

वाराणसी के पंडित दीन दयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन पर सैकड़ों की संख्या में छात्रों ने पूर्वोत्तर के प्रतिनिधियों का भव्य तरीके से स्वागत किया। पूरा रेलवे स्टेशन ढोल नगाड़े, वैदिक मंत्रोचारण से गूंज उठा। कार्यकर्ताओं ने पूर्वोतर के प्रतिनिधियों का स्वागत पुष्पवर्षा एवं भारत माता की जय, वन्दे मातरम, अलग भाषा अलग वेश फिर भी अपना एक देश, वाराणसी हो या गुवाहाटी अपना देश अपनी माटी के नारों से किया। वहीं पटना, लखनऊ, भुवनेश्वर, गोरखपुर, जैसेलमेर एवम् कानपुर में भी रेलवे स्टेशनों पर ऐतिहासिक स्वागत पूर्वोत्तर के प्रतिनिधियों का किया गया।

यह यात्रा 22 जनवरी से लेकर 13 फरवरी तक चलने वाली है। इस यात्रा में पूर्वोत्तर के राज्यों से 240 छात्रों को आठ विभिन्न समूहों में देश भर के 20 राज्यों के 32 शहरों में भ्रमण पर ले जाया गया है।

राष्ट्रीय एकात्मता यात्रा- 2025 के यात्रा प्रमुख एवम् मणिपुर प्रांत के संगठन मंत्री भगवत सिंह राजावत ने जानकारी देते हुए बताया कि पूर्वोत्तर के 64 जिले के 82 स्थानों से 79 शिक्षण संस्थानों के 68 जनजाति से कुल 117 छात्र तथा 97 छात्राएं, 16 ग्रुप कॉर्डिनेटर-कोऑर्डिनेटर एवम् 10 पूर्वोत्तर के प्रवासी कार्यकर्ता इस यात्रा पर निकले हैं।

सभी आठ समूहों का नाम पूर्वोत्तर के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम से रखा गया है, ताकि पूर्वोत्तर के गुमनाम सेनानियों को देश भर के लोग भी जान सके।

इस समूह में पूर्वोत्तर के राष्ट्रीय महत्व के संस्थान, केन्द्रीय विश्वविद्यालय व अन्य प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के छात्र-छात्रा भी शामिल हैं। इन छात्रों का देशभर में सभी राज्यों में विविध ऐतिहासिक स्थानों, शैक्षणिक संस्थानों, वैज्ञानिक संस्थानों, पर्यटक स्थानों पर प्रत्यक्ष जाना हो रहा है, साथ ही प्रत्यक्ष स्थान पर स्थानीय लोगों के घरों में निवास करते हुए वहां की संस्कृति और परम्पराओं का भी अनुभव ले रहे हैं। यह यात्रा देश की एकात्मता की डोर को मजबूत करने वाली यात्रा है। सभी राज्यों में इन छात्रों के स्वागत के लिए आम जनमानस भी बढ़-चढ़ कर इनका स्वागत कर रहा है।

यह भारत के मूल मंत्र ‘अतिथि देव भव:’ का चरितार्थ रूप है। यात्रा के स्वागत में स्थानीय नृत्य और गीतों आदि का प्रस्तुतिकरण, सांस्कृतिक संध्या व पारम्परिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। पारम्पारिक भारतीय वाद्य यंत्रों व पुष्प वर्षा से आतिथ्य सत्कार किया जा रहा है। बहुत से छात्रों ने अपने अनुभव में बताया कि वे भारत के इस सांस्कृतिक बहुरंग को देखकर बहुत उत्साह और आनंद का अनुभव कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि यह यात्रा उनके मानस में जीवन भर के लिए अंकित हो गई है। आजीवन इस यात्रा से प्रेरणा मिलती रहेगी। विभिन्न स्थानों पर जाकर प्रत्यक्ष जाने से यह भी ज्ञात हुआ कि भारत अपनी सांस्कृतिक विविधता से निर्बल नहीं, बल्कि एक सबल राष्ट्र है। वास्तव में भारत की विविधता ही भारत की सबसे बड़ी पूंजी है यह भाव और भी दृढ़ हो गया है।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश

   

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