जिला कारागार में मिला एक और बंदी एचआईवी पॉजिटिव,संख्या हुई चार

1036 कैदियों में टीबी का कोई मरीज नहीं मिला

झांसी, 15 जनवरी (हि.स.)। जिला कारागार में 19 साल का बंदी एचआईवी पॉजिटिव मिला है। अब जेल में इस रोग से ग्रसित बंदियों की संख्या चार हो गई है। बंदियों की सेहत को लेकर चल रहे विशेष अभियान के तहत जेल में स्क्रीनिंग की जा रही है। जिसमें एचआईवी के अलावा टीबी की भी जांच हो रही है। अच्छी खबर यह है कि टीबी मरीजों की संख्या शून्य मिली है। यहां की सलाखों के पीछे बंद सभी 1036 बंदियों की जांच हुई है। जेल में 729 विचाराधीन पुरुष और 28 महिला बंदी हैं, जबकि 265 पुरुषों व 14 महिला कैदियों पर दोष सिद्ध हो चुका है। इसमें महिला बंदी के साथ एक बच्चा भी है।

जेल में बंद बंदियों की सेहत को लेकर फिक्रमंद प्रशासन द्वारा उनकी नियमित जांच कराई जाती है। इस समय जिला अस्पताल की टीम द्वारा बंदियों की टीबी और एचआइवी की जांच की जा रही हैं। सभी 1036 बंदियों की जांच हो चुकी है, जिसमें कुल 5 बंदी एचआइवी पॉजिटिव पाए गए हैं। एक भी बंदी में टीबी के लक्षण नहीं पाए गए हैं। बंदियों की जांच जिला चिकित्सालय के डॉ. पंकज दुबे, परामर्शदाता अंकित मिश्रा, नरेन्द्र, नीतेश व हरगोविन्द कर रहे हैं।

ग्रसित एक बंदी की हो चुकी है जमानत

वरिष्ठ जेल अधीक्षक विनोद कुमार सिंह ने बताया कि शासन के आदेश पर जेल के बंदियों की जांच की जा रही है। जेल में पहले एचआईवी से ग्रसित 4 बंदी थे, जिसमें 1 को जमानत मिलने पर उसकी रिहाई हो चुकी है। बाकी 3 बंदियों का लगातार उपचार चल रहा है। अब एक और बंदी एचआइवी पॉजिटिव पाया गया है, जिससे एचआईपी बंदियों की संख्या फिर से 4 हो गई है।

मरीजों की कराई जा रही एआरटी जांच

इस संबंध में डॉ. पंकज दुबे ने बताया कि एचआइवी वायरस है। इसका सही समय पर इलाज न हो, तो फिर यह एड्स में तब्दील हो जाता है। मनुष्य के शरीर में रोग से लड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है और उसको कई बीमारियां घेर लेती हैं। एड्स के मरीज को जीवनभर उपचार कराना पड़ता है। इसके लिए उनको एंटी रेट्रोवायरस थैरेपी दी जाती है, जिससे उनको लम्बी उम्र और स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / महेश पटैरिया

   

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