गौरवशाली कहानियों को जीवंत करेगा 50वां स्वर्ण जयंती खलंगा मेला
- Admin Admin
- Nov 28, 2024
- 1 दिसंबर को सागरताल नालापानी में होगा ऐतिहासिक आयोजन
- गोरखा वीरों की अदम्य साहस और बलिदान की गाथा बताएगा
देहरादून, 28 नवंबर (हि.स.)। इस वर्ष बलभद्र खलंगा विकास समिति नालापानी के तत्वावधान में आयोजित ऐतिहासिक 50वां स्वर्ण जयंती खलंगा मेला-2024 न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आयोजनों में अपनी अलग पहचान बनाएगा। यह मेला 1 दिसंबर से सागरताल नालापानी में शुरू होगा। यह जानकारी उत्तरांचल प्रेस क्लब में गुरुवार को मीडिया से बातचीत में बलभद्र खलंगा विकास समिति के अध्यक्ष कर्नल विक्रम सिंह थापा नेदी है। उन्होंने बताया कि यह मेला न केवल इतिहास की उन गौरवशाली कहानियों को जीवंत करेगा, जो 1814-16 के खलंगा युद्ध से जुड़ी हैं, बल्कि गोरखा वीरों की अदम्य साहस और बलिदान की गाथा को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का एक आदर्श मंच बनेगा। उन्हाेंने
बताया कि यह वर्ष हमारे लिए ऐतिहासिक है। स्वर्ण जयंती खलंगा मेला हमें अपनी जड़ों, इतिहास और संस्कृति से जोड़ता है। पत्रकार वार्ता के दाैरान गोर्खाली सुधार सभा के अध्यक्ष पदम सिंह थापा, उपाध्यक्ष विनय गुरूंग वे सचिव प्रभा शाह आदि उपस्थित थे।उन्हाेंने बताया कि श्रद्धांजलि और साइकिल रैली, चंद्रायनी माता मंदिर में पूजन, हवन और भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद शाम छह बजे से खलंगा युद्ध स्मारक सहस्त्रधारा रोड पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देहरादून मंडल के सहयोग से एक सांस्कृतिक संध्या हाेगी। आयओजन के दूसरे दिन सुबह 11 बजे से सागरताल नालापानी में 50वें स्वर्ण जयंती खलंगा मेले का मुख्य आयोजन प्रारंभ होगा। जिसमें खलंगा युद्ध का ऐतिहासिक वर्णन और सांस्कृतिक कार्यक्रम हाेंगे, जिसमें गोरखा, गढ़वाली और कुमाऊंनी लोक कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे।उन्हाेंने बताया कि मेले में स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शन स्टॉल लगाए जाएंगे और एक स्मारिका विमोचन का विमोचन भी किया जाएगा।
खलंगा मेले का ऐतिहासिक महत्व
यह मेला गोरखा योद्धाओं के अद्वितीय पराक्रम और बलिदान को समर्पित है। 1814-16 में जब ब्रिटिश सेना ने नालापानी किले पर कई बार आक्रमण किया, तब सेना नायक कुंवर बलभद्र थापा और उनके वीर सैनिकों ने अपनी सीमित संसाधनों के बावजूद अभूतपूर्व साहस का प्रदर्शन किया। खलंगा युद्ध ने गोरखा योद्धाओं को वीरता का प्रतीक बना दिया। यह मेला उनकी इसी गाथा को जन-जन तक पहुंचाने और उनके प्रति सम्मान प्रकट करने का एक प्रयास है।
मुख्यमंत्री हाेंगे शामिलइस आयोजन में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कैबिनेट मंत्री, क्षेत्रीय विधायक समेत कई गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रहेगी। साथ ही इतिहासकार, बुद्धिजीवी और संस्कृति प्रेमी इस आयोजन का हिस्सा बनकर इसे और भव्य बनाएंगे।
हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण