महंत दिग्विजयनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय में नि:शुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन

निशुल्क आयुर्वेद चिकित्सा शिविर में 78 लोगों की हुई जांच, मिला परामर्श*

गोरखपुर, 27 सितम्बर (हि.स.)। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के आरोग्य धाम परिसर स्थित महंत दिग्विजयनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय में शुक्रवार को नि:शुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन विश्व आयुर्वेद मिशन के अध्यक्ष डॉ. जीएस तोमर ने चिकित्सालय निदेशक डॉ. राजेश बहल, प्रभारी जीके मिश्रा एवं उप कुलसचिव श्रीकांत ने महायोगी गोरखनाथ की प्रतिमा समक्ष पूजन अर्चन कर किया। प्रतिकूल मौसम के बावजूद शिविर में डॉ. तोमर ने 78 लोगों का चिकित्सकीय परीक्षण कर परामर्श दिया। इनमें से 70 लोगों की नि:शुल्क ब्लड शुगर एवं हीमोग्लोबिन का भी परीक्षण किया गया।

आयुर्वेद चिकित्सा शिविर में डॉ. तोमर ने बताया कि गठिया और मधुमेह के रोगियों की बढ़ती हुई संख्या चिंताजनक है। आज प्रायः हर घर में कोई न कोई मधुमेह का रोगी मिल रहा है। इसका मुख्य कारण हमारे खान पान तथा जीवनशैली में हो रहा बदलाव है। पिज्जा, नूडल्स, बर्गर जैसे फास्ट फूड एवं आराम तलब जीवनशैली से हमारे बच्चे एवं युवा फैटी लीवर, डायबिटीज जैसे मेटाबॉलिक डिसआर्डर्स की चपेट में आते जा रहे हैं।

डॉ. तोमर ने बताया कि मेटाबॉलिक सिन्ड्रोम, प्री डायबिटीज और डायबिटीज या मधुमेह की तीन अवस्थाएं होती हैं। इनमें से पहली दो अवस्थाओं को आयुर्वेदीय औषधियों एवं जीवनशैली से पूर्णतः नियंत्रित किया जा सकता है। ये औषधियां न केवल रक्त शर्करा नियंत्रण में सहयोग करतीं हैं अपितु इनके प्रयोग से शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को मधुमेह के घातक उपद्रवों से बचाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि खानपान में श्रीअन्न अर्थात् मिलेट्स कम ग्लाइसीमिक इण्डेक्स होने से अत्यन्त लाभकारी हैं। अपने शोध एवं चिकित्सा अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि के हल्दी, आंवला, करेला, मेथी, परवल के साथ-साथ बसन्त कुसुमाकर रस, बीजीआर 34 एवं डायबकल्प जैसी औषधियां मधुमेह की चिकित्सा में अत्यंत प्रभावी हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय

   

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