नववर्ष के पहले दिन काशी विश्वनाथ दरबार में उमड़ा युवाओं का सैलाब 

बड़ा गणेश दरबार में दर्शन के लिए कतारबद्ध श्रद्धालु:फोटो बच्चा गुप्तागंगा में बजड़े की सवारी करते लोग: फोटो बच्चा गुप्ता

वाराणसी, 01 जनवरी (हि.स.)। आंग्ल नव वर्ष के पहले दिन बुधवार को बाबा विश्वनाथ और मां अन्नपूर्णा के दरबार में आस्था का समंदर दिखा। भोर से ही युवाओं में बाबा विश्वेश्वर के प्रति श्रद्धा गंगा की मौजों की तरह उफान मारती रही। धुंध, कोहरे के साथ सर्द तेज हवाओं के बीच नए साल का गर्मजोशी भरा स्वागत, जीवन में नई उम्मीद नई शुरुआत के लिए युवा बाबा विश्वनाथ, मां अन्नपूर्णा का आर्शीवाद पाने के लिए एक किलोमीटर से भी लंबी कतार में कतारबद्ध होते रहे। इस दौरान उनके चेहरे पर थकान का नामोनिशान नहीं दिखा।

बाबा दरबार में दर्शन पूजन के लिए बांसफाटक में कतारबद्ध बीएचयू के छात्र पीयूष शुक्ला, अंश चौबे, रोहित जायसवाल ने बताया कि साल के पहले दिन बाबा का दर्शन करने से पूरा साल अच्छा बीतेगा और कॅरियर भी उनके आर्शीवाद से संवरेगा। बाबा अपने भक्तों के भाव को जानते हैं। बाबा स्वयं ज्योर्तिलिंग के रूप में विराजमान हैं। यहां दर्शन-पूजन पर जो सुकुन और अहसास होता है वह कहीं नहीं मिलता। उधर, बाबा विश्वनाथ के दरबार के साथ बड़ागणेश, बाबा कालभैरव, श्रीसंकटमोचन दरबार, दुर्गाकुण्ड स्थित भगवती कुष्मांडा दरबार, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित विश्वनाथ मंदिर, लक्ष्मी मंदिर, लक्ष्मीकुण्ड, कैथी स्थित मारकंडे महादेव धाम में भी युवाओं की दर्शन पूजन के लिए भारी भीड़ जुटी।

दर्शन पूजन के बाद दोपहर में भगवान सूर्य के दर्शन देने के साथ युवाओं ने जमकर मस्ती की। सारनाथ, गंगा तट, उस पार रेती में, अस्सीघाट पर युवा दिनभर मौजमस्ती करते रहे। गंगा उस पार रेती में युवाओं के अलावा परिवार के साथ गये लोगों ने घुड़सवारी का भी जमकर आनंद लिया। गंगा घाटों पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ ने जमकर सेल्फी ली। नववर्ष पर पूरे शहर में आटो चालक अपने वाहनों को गुब्बारे से सजा कर चल रहे थे।

जमकर बिका गुलाब और फूलों का गुलदस्ता

नववर्ष पर बुधवार को नगर में जगह-जगह अस्थायी फूलों की दुकान सजी रही। इंग्लिशिया लाइन और बांसफाटक स्थित फूल बाजार में फूलों के राजा गुलाब, बुके और गेंदा को खरीदने के लिए फुटकर विक्रेताओं का आना-जाना दिन भर लगा रहा। विदेशी फूल भी युवाओं ने जमकर खरीदे और इसे दोस्तों को गिफ्ट किया। न्यू कपल्स की पसंद देशी गुलाब के साथ अमेरिकी गुलाब, गुलदस्ते व बुके बनी रही।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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