त्योहारों की खुशियाँ और जीएसटी बचत: रिफॉर्म के साथ आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम

प्रयागराज, 26 सितम्बर (हि.स)। त्योहारों का मौसम हमेशा नई उम्मीदें लेकर आता है। इस वर्ष यह उम्मीद और भी बड़ी हो गई है। 22 सितम्बर 2025 से लागू हुए नेक्स्ट जेनरेशन GST सुधारों ने देशवासियों के लिए आर्थिक राहत और बचत के नए अवसर खोले हैं। यह सुधार केवल टैक्स दरों में बदलाव तक सीमित नहीं है, बल्कि हर वर्ग इन रिफॉर्म्स से किसान, महिला, युवा, गरीब, मध्यम वर्ग, व्यापारी, लघु उद्योग, कुटीर उद्योग, सभी को फायदा होगा। जो लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं।

आर्य कन्या डिग्री कॉलेज, प्रयागराज के अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. अमित पाण्डेय का कहना है कि GST सुधारों का उद्देश्य सरलता और पारदर्शिता के साथ-साथ उपभोक्ता बचत बढ़ाना और घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहित करना भी है। अब देश में केवल दो मुख्य स्लैब 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत रहेंगे, जबकि विलासिता और हानिकारक वस्तुओं पर 40 प्रतिशत की विशेष दर लागू होगी।

--घर की बचत और रोजमर्रा की राहतडॉ. अमित पाण्डेय ने वार्ता के दौरान कहा कि सबसे बड़ा लाभ रोजमर्रा की वस्तुओं में दिखाई देगा। खाद्य सामग्री, साबुन, टूथपेस्ट, दवाईयां और स्वास्थ्य बीमा जैसी आवश्यक वस्तुएं या तो टैक्स-फ्री होंगी या न्यूनतम 5% दर पर उपलब्ध होंगी। इसका सीधा असर घरों के मासिक खर्च पर होगा और बचत बढ़ेगी।

मध्यम वर्ग और युवाओं के लिए भी राहत के अवसर हैं। छोटे वाहन, शिक्षा सामग्री, फिटनेस सेंटर और घरेलू निर्माण सामग्री अब सस्ती और सुलभ होंगी। यह कदम उनके जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने और आर्थिक दबाव कम करने में मदद करेगा।

--व्यापार और MSME सेक्टर में सशक्तिकरणछोटे और मझोले उद्योगों के लिए टैक्स प्रणाली को सरल बनाना उनका संचालन आसान करेगा और रोजगार सृजन में योगदान देगा। व्यवसायों के लिए यह सुधार नवाचार और आर्थिक गतिविधियों में तेजी का अवसर भी है।

--आर्थिक प्रभाव और संतुलनसरकारी आंकड़ों के अनुसार, इन सुधारों से लगभग ₹48,000 करोड़ की राजस्व हानि हो सकती है। हालांकि, 40% उच्च दर वाली वस्तुओं से लगभग ₹45,000 करोड़ की अतिरिक्त आय होगी। SBI के अध्ययन के अनुसार, उपभोक्ता खर्च में ₹70,000 करोड़ की वृद्धि हो सकती है, जिससे कुल मांग में ₹1.98 लाख करोड़ का इजाफा होगा। इससे स्पष्ट है कि सुधार केवल खर्च कम करने का उपाय नहीं, बल्कि आर्थिक गतिविधियों और मांग को बढ़ाने का माध्यम भी हैं।

--राज्य सरकारों के लिए अवसर और चुनौतियांराज्यों को भी लाभ होगा। खुदरा कीमतों में कमी से उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा और राज्यों की GST संग्रहण क्षमता में सुधार होगा।हालांकि, राजस्व हानि, व्यापारियों के लिए संक्रमण और कुछ राज्यों की चिंता जैसी चुनौतियाँ बनी रहेंगी। सही नीतियों, प्रशिक्षण और मुआवजा प्रावधानों से इनका समाधान संभव है।

--आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदमनेक्स्ट जेनरेशन GST सुधार केवल आर्थिक राहत तक सीमित नहीं हैं। यह स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहन, MSME सेक्टर को मजबूती और युवाओं के रोजगार के अवसर बढ़ाने में सहायक हैं। जब हम देश के कारीगरों और श्रमिकों की मेहनत से बने उत्पाद खरीदते हैं, तो हम देश की समृद्धि और भविष्य को सशक्त बनाते हैं। यह सुधार भारत को 2047 तक विकसित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मजबूत आधार तैयार करता है।

--निष्कर्षGST सुधार हर घर की जेब तक राहत पहुंचाते हैं, व्यापार और उद्योग के लिए संचालन आसान बनाते हैं और देश की आर्थिक स्थिरता में योगदान देते हैं। यह कदम आर्थिक समृद्धि, सामाजिक स्थिरता और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में निश्चित ही मील का पत्थर साबित होगा। 2047 तक विकसित भारत बनाने का संकल्प देश के सामने रखा है। देश ने 2047 तक विकसित भारत का संकल्प लिया है और इसे सिद्ध करने के लिए आत्मनिर्भरता के रास्ते पर चलना जरूरी है। नए GST रिफॉर्म्स से आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी तेज गति मिलेगी। आत्मनिर्भरता के लिए आवश्यक है कि हम स्वदेशी को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

   

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