कुमाऊं विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र में ऐपण व रंग्वाली पिछौड़ा पर तीन दिवसीय कार्यशाला आयोजित

नैनीताल, 16 अक्टूबर (हि.स.)। कुमाऊं विश्वविद्यालय के नैनीताल स्थित माता जिया रानी महिला अध्ययन केंद्र में संचालित छह माह के ऐपण प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम के अंतर्गत तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में प्रतिभागियों को कुमाऊं की पारंपरिक लोक चित्रकला ‘ऐपण’ तथा बूटेदार रंग्वाली पिछौड़ा यानी ओढ़नी बनाने की विधि सिखाई गई।

इस दौरान निफ्ट की डिजाइनर शगुन तिवारी और हस्तशिल्प की प्रशिक्षक रुचि नैनवाल ने प्रतिभागियों को उत्तराखंड की लोक संस्कृति व रंग्वाली पिछौड़ा के महत्व और पारंपरिक रेखांकन की तकनीकों की जानकारी दी। उन्होंने ब्लॉक प्रिंटिंग की प्रक्रिया और इसमें स्थानीय डिजाइन के महत्व की जानकारी भी दी। इसके अतिरिक्त रंग तैयार करने और कपड़े पर पिनिंग की विधि भी बतायी गयी और प्रतिभागियों ने विभिन्न ब्लॉकों का प्रयोग कर बॉर्डर और बेलबूटों की सजावट का अभ्यास किया।

शगुन तिवारी ने कपड़े पर ब्लॉक की सहायता से स्वास्तिक बनाने की पारंपरिक विधि सिखाई, वहीं रुचि नैनवाल ने पिछौड़ा में गोटा लगाने और सजावटी वस्तुओं से डिजाइनर रूप में तैयार करने की प्रक्रिया बताई। केंद्र की निदेशक प्रो. नीता बोरा शर्मा ने कहा कि इस प्रकार की गतिविधियों का उद्देश्य प्रतिभागियों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर आत्मनिर्भरता की दिशा में सशक्त बनाना है। उन्होंने बताया कि ऐपण के विद्यार्थी और स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अपने बनाए उत्पादों का प्रदर्शन और विक्रय महिला अध्ययन केंद्र से कर सकती हैं।

कार्यशाला में ऐपण पाठ्यक्रम की विद्यार्थी हेमा, काजल, प्रीति, दीपा, भावना, सुनीता, देवकी के साथ डॉ. हृदेश, डॉ. भूमिका, डॉ. पंकज, डॉ. मोहित, अविनाश, सत्येंद्र, खुशबू, राकेश, सचिन, गरिमा, सुमन सहित कई शोधार्थी उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

   

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