एपीडा ने बायोफैच 2025 में भारत की जैविक विरासत को किया प्रदर्शित

- बायोफैच 2025 में एक आशय पत्र पर भी हुए हस्ताक्षर- अगले बायोफैच 2026 में वर्ष का भागीदार होगा भारत

नई दिल्ली, 18 फ़रवरी (हि.स.)। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने जर्मनी के नूर्नबर्ग में मेसजेंट्रम में 11 से 14 फरवरी, 2025 तक आयोजित बायोफैच 2025 में एक आशय पत्र (एलओआई) पर हस्ताक्षर हुए थे। इसका उद्देश्य भारत को बायोफैच 2026 में वर्ष का भागीदार देश बनाने का है।

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने मंगलवार को बताया कि भारत की समृद्ध कृषि विरासत और टिकाऊ खेती की बढ़ती मांग के उपलक्ष्य में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने जर्मनी के नूर्नबर्ग में मेसजेंट्रम में 11 से 14 फरवरी, 2025 तक आयोजित बायोफैच 2025 में भारत मंडप के तहत भारतीय निर्यातकों की भागीदारी का आयोजन किया गया था। बायोफैच 2025 में एपीडा इंडिया मंडप का उद्घाटन म्यूनिख में भारत के महावाणिज्यदूत शत्रुघ्न सिन्हा और एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने किया था।

मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि इस कार्यक्रम में 11 फरवरी 2025 को एपीडा और नूर्नबर्ग मेसे के बीच एक आशय पत्र (एलओआई) पर हस्ताक्षर भी हुए, जिससे भारत को बायोफैच 2026 में वर्ष का भागीदार देश बनाया जा सके। इस आशय पत्र पर नूर्नबर्ग मेसे के प्रबंधन बोर्ड की उपाध्यक्ष और सदस्य विक्टोरिया वेहसे और एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने म्यूनिख में भारतीय महावाणिज्य दूतावास के महावाणिज्यदूत शत्रुघ्न सिन्हा की उपस्थिति में आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। यह हस्ताक्षर भारत और बायोफैच के बीच लंबे समय से चली आ रही साझेदारी में एक निर्णायक था, जिसमें भारत ने पहले 2012 में प्रतिष्ठित भागीदार देश का खिताब अपने नाम किया था। यह भारत के लिए अगले साल इस वैश्विक कार्यक्रम में सुर्खियों में आने और बायोफैच 2026 में दुनिया के लिए जैविक खाद्य टोकरी के रूप में भारत की ताकत पेश करने का मंच भी तैयार करता है।

उन्होंने बताया कि भारत के जैविक खाद्य उत्पादों और पेशकशों की विविधता को प्रदर्शित करने के लिए एपीडा ने निर्यातकों, एफपीओ और राज्य सरकार के संगठनों सहित 20 से अधिक सह-प्रदर्शकों की भागीदारी की सुविधा प्रदान की, जिन्होंने चावल, तिलहन, जड़ी-बूटियां, मसाले, दालें, काजू, अदरक, हल्दी, बड़ी इलायची, दालचीनी, आम प्यूरी, आवश्यक तेलों जैसे उत्पादों का प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शनी में न केवल भारत की कृषि क्षमता को दर्शाया गया।

भारत मंडप में जैविक उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला के प्रदर्शन के अलावा उपस्थित लोगों को भारत के जीवंत स्वाद और सुगंध के माध्यम से यात्रा करने के लिए आमंत्रित किया गया, जिसमें भारत की जैविक समृद्धि के सार को जगाने के लिए डिज़ाइन किए गए क्यूरेटेड खाद्य स्वाद शामिल थे। प्रीमियम ऑर्गेनिक बासमती चावल और विदेशी मसालों से बनी सुगंधित, सुगंधित बिरयानी से लेकर गोल्डन टर्मरिक लैटे के शांत और प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले गुणों तक, हर व्यंजन भारत की जैविक पेशकशों का जश्न मनाया। इसके अलावा मंडप में लाइव कुकिंग डेमो भी दिखाए गए, जहां आगंतुकों ने मिलेट डोसा जैसे प्रामाणिक भारतीय व्यंजनों का लुत्फ़ उठाया।

इसके अलावा भारतीय मंडप में सांस्कृतिक अनुभव पाक-कला के आनंद से आगे बढ़ा, जहां आगंतुकों को हिना आर्ट देखने को मिली, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और कलात्मक अभिव्यक्ति का प्रतीक है। इस सांस्कृतिक तत्व ने भारत की सदियों पुरानी परंपराओं से एक ठोस जुड़ाव प्रदान किया, जो टिकाऊ खेती और राष्ट्र को परिभाषित करने वाली व्यापक सांस्कृतिक विरासत के बीच की खाई को पाटता है।

बायोफैच 2025 में एपीडा के मंडप ने भारत की जैविक उत्कृष्टता का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, जो प्रदर्शित उत्पादों, देश भर के निर्यातकों की कहानियों और एक स्वस्थ और अधिक टिकाऊ भविष्य के लिए उनकी साझा प्रतिबद्धता में पाया गया। अपने गहरे इतिहास और उभरते भविष्य के साथ भारत का जैविक कृषि क्षेत्र बायोफैच 2026 में एक बार फिर केंद्र में आने के लिए तैयार है। जैसे-जैसे वैश्विक ध्यान भारत के कृषि नवाचारों की ओर जाता है, एपीडा का लक्ष्य ऐसे सहयोग और साझेदारी बनाना है, जो भारत के लिए दुनिया का सबसे भरोसेमंद और मांग वाला जैविक खाद्य उत्पादों का स्रोत बनने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव

   

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